प्रमोद गुप्ता's Album: Wall Photos

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पीएम मोदी एलएसी पर जब विस्तारवाद के खिलाफ बोल रहे थे तो उन्होंने एक बड़ी बात कही, "इस बार फिर से पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है" इसका मतलब समझ रहे है आप ? चीन की विस्तारवादी नीति के विरुद्ध जंग छिड़ चुकी है।

भारत पर हमला करके चीन ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। जैसा कि मोदी जी ने देशवासियों को विश्वास दिलाया है कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और इसके बाद मोदी सरकार की तरफ से चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद एक जो कार्यवाहियां की जा रही है वो यही दर्शा रही है कि अब भारत रुकने वाला नहीं है।

चीन वैसे भी विश्व में कोरोना फैलाकर चौतरफा घिर चुका है। कुछ बड़े देशों ने खुल कर चीन को दोषी ठहराया है। भारत पर हमला करने के बाद चीन के खिलाफ कुछ देशों ने भारत का समर्थन किया है, जिनमें:

फ्रांस ने भारत को सैन्य समर्थन देने का को कहा है। साथ ही राफेल फाइटर जेट भी जल्द ही डिलीवर करने को कहा है।

अमेरिका ने तो भारत का खुला समर्थन किया है।

यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में चीन द्वारा कराची हमले के लिए भारत को दोषी ठहराया जाने वाले प्रस्ताव को जर्मनी और अमेरिका ने ब्लॉक करवा दिया।

यूनाइटेड नेशन ह्यूमन राइट्स कमीशन में होंगकोंग पर थोपे गए नए चीनी सुरक्षा कानून का उल्लेख कर पहली बार भारत ने 'वन चाइना पॉलिसी' त्यागी।

रूस द्वारा भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की समय पूर्व डिलीवरी पर चीन द्वारा भारत के खिलाफ की गई शिकायतों की रूस द्वारा की गयी अव्हेलना चीन के लिए भारी राजनयिक झटका है।

राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भारत द्वारा प्रतिबंधित किए गए टिक टोक समेत अन्य चीनी एप्स के निर्णय की अमेरिका द्वारा भारत के कदम की खुलकर प्रशंसा की गयी है।

म्यांमार द्वारा चीन पर आतंकी संगठन पैदा करने और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा पैदा करने का खुला आरोप लगाना और वैश्विक कम्युनिटी से चीन के विरुद्ध सहायता मांगना भी चीन के लिए एक धक्का है।

साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास कर रहे चीन को फिलीपींस ने दो टूक लहजे में चेतावनी देते हुए कहा है कि इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

अमेरिका द्वारा चीनी कंपनी हुआवे को चाइनीस कम्युनिस्ट पार्टी के संग संबंधों के कारण प्रतिबंधित किया जाना भी चीन के लिए एक सेट बैक है।

ऑस्ट्रेलिया द्वारा चीन को ध्यान में रखकर अपने रक्षा बजट में अगले कुछ वर्षों में की जा रही 40% की अप्रत्याशित बढ़ोतरी भी चीन के लिए कोई शुभ समाचार नहीं है।

ब्रिटेन द्वारा होंगकोंग के 2.6 मिलियन नागरिकों को 5 साल तक ब्रिटेन में रिसिडेंस देना और उसके बाद उन लोगों को ब्रिटिश नागरिकता प्रदान करने की घोषणा भी चीन के दमनकारी चेहरे को ही उजागर करने वाला है।

रूस से 12 सुखोई su-30 एमकेआई और 21 मिग-29 की डील फाइनल करना, रूस को अपने पाले या फिर युद्ध में तटस्थ रखना भी भारत की कूटनीति का हिस्सा है।

अमेरिका, रूस ऑस्ट्रेलिया, जापान, फिलीपींस, म्यांमार, वियतनाम, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इजरायल आदि देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के साथ है।

चीन ने भारत को तीन मोर्चो पर लड़ने की गीदड़ भभकी दी थी, उल्टा चीन आज खुद कई मोर्चो पर घिर चुका है। हांग कांग और तिब्बत में चीन से आजादी की आवाजें काफी लंबे समय से उठ रही है इसे कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है।

पीएम मोदी ने अपनी कूटनीति से इस वक़्त चीन को चौतरफा घेर लिया है। पिछले 3-4 दिनों में हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेवलपमेंट यह बताने के लिए काफी है कि पीएम मोदी ने लद्दाख में चीन के विस्तारवाद के खिलाफ जो कहा है वो ऐसे ही नहीं कह दिया है। पीएम मोदी कभी कुछ ऐसे ही नहीं कहते। उनकी हर बात में गूढ़ रहस्य होता ही है, साथ ही राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति उनका संकल्प भी स्पष्ट दिखाई देता है।

परिस्थितियां ऐसी बन रही है जिससे चीन पर इतना अधिक वैश्विक दबाव बनेगा कि चीन अपने विस्तारवादी क़दमों को मोड़ने के लिए मजबूर हो जाएगा।

भारत के विरुद्ध चीन का एक गलत कदम चीन का भूगोल बदल देगा।

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