‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘ अंकित करवा दिया था।
ये इस्लामिक बर्बरता UP के गोरखपुर से 30 KM दूर खजनी कस्बे के सरया तिवारी गांव में हुई , जिसके शिवमंदिर में हजारों साल पुराना ये शिवलिंग आज भी प्रतिष्ठित है।
इस्लामिक खलीफा ने कूफ़ा से जब हज्जाज के भतीजे और दामाद महमूद गजनवी को हिन्द में इस्लाम को स्थापित करने अर्थात गजवा-ए-हिन्द के लिए भेजा तब गजनवी सिंध के गद्दार बौद्धों की मदद से सिंध को तबाह करता हुआ भारत के भीतर आक्रमण किया और पूरे देश के मंदिरों को लूटता और तबाह करता इस क्षेत्र में काफिरों का नरसंहार किया , सैकड़ों नारियों का उसकी फौज ने बलात्कार और बंदी बनाया ।
जब गजनवी की फौज सरैया गांव में आई तो यहां भी नरसंहार जारी रहा और अंततः उसने महादेव के इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया. इसके बाद शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की परन्तु शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ. तब गजनवी ने शिवलिंग पर कलमा खुदवा दिया, ,,,,,,,,,
‘लाइलाह इलाल्लाह मोहम्मद उर रसूलल्लाह‘
जो आज भी खुदा हुआ है।
ये शिवलिंग जेहादी बर्बरता का प्रमाण हैं पर गुलाम गजनवी को हीरो मानते हैं।
जिनके पुरुखों को तलबार के बल पर मुसलमान बनाया , जिनका नरसंहार - बलात्कार किये वे आज उन्हीं आक्रान्ताओं का झंडा लिए फिरते हैं।
जरा सोचो कि ऐसे लोगों के रहते तुम्हारा अस्तित्व कब तक सुरक्षित रहेगा ???
आगे मेरा गजनवी/तैमूर लंग / औरंगजेब जैसों को हीरो मानने वालों से जिज्ञासा है कि
मुस्लिम आक्रांता अपनी जेहादी फौज के साथ महिलाओं को नहीं लाये तब
भारतीय महाद्वीप में
मुसलमान कैसे पैदा हो गए ?