प्रमोद गुप्ता's Album: Wall Photos

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विश्व सैनिक इतिहास में जब भी बहादुरी की बात आएगी और देश प्रेम की बात होगी तब अर्नेस्ट ग्रेस का नाम बहुत इज्जत से लिया जाएगा।

वियतनाम युद्ध के समय अर्नेस्ट ग्रेस सीआईए के एजेंट थे साथ ही साथ पायलट भी थे। इनका काम थाईलैंड से उड़ान भर के वियतनाम में अमेरिकी सैनिकों के लिए राशन पहुंचाना भी था और साथ ही साथ युद्ध की गुप्त सूचनाओं को अमेरिका तक पहुंचाना था।

एक दिन वह जैसे ही वियतनाम में लैंड किए वियतनामी सैनिकों ने गोलीबारी करके उन्हें बंधक बना लिया और उन्हें कैद कर लिया पहले उन्हें खूब टॉर्चर किया गया लेकिन उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला वह यही बताते रहे कि वह एक शौकिया पायलट है जो यहां घूमने आए थे

उन्हें बांस के बने एक 2 फुट ऊंचे और 8 फीट लंबे पिंजरे में कैद कर दिया गया जिसमें उन्हें मोटी मोटी रस्सियों से बांधकर रखा जाता था।

लगभग डेढ़ साल कैद में रहने के बाद उन्होंने एक लकड़ी की मदद से अपना हाथ और गला खोलकर भाग गए लेकिन उनके अंदर इतनी ऊर्जा नहीं थी कि वह काफी दूर तक जा सके इसलिए वह खाने की तलाश में घर में घुसे बदकिस्मती से वह घर एक वियतनामी सैनिक का ही था और उन्हें फिर से कैद कर लिया गया

उन्हें फिर से उसी पिंजरे में बंद कर दिया गया लेकिन इस बार मोटे मोटे नट बोल्ट लगा कर उनके पैरों को लकड़ी के फ्रेम में कस दिया गया इस हालत में वह लगभग डेढ़ वर्षो तक कैद में रहे उनके पैर पूरी तरह से पैरालिसिस का शिकार हो गए एक दिन उन्होंने लोहे की कटीली तार को तोड़कर उससे रिंच बनाकर बोल्ट खोलने का अभ्यास किया और फिर से वह कैद में से आजाद हो कर भाग गए लेकिन उनके दोनों पैर पैरालिसिस का शिकार हो गए थे इसलिए वह चल नहीं सकते थे वह घसीट घसीट कर चल रहे थे और फिर एक पहाड़ी से वह इतनी दूर जोर से स्लिप हुए और नीचे गिरते चले गए जिससे बहुत तेज आवाज हुई जिससे वियतनामी सैनिक समझ गए कि अर्नेस्ट फरार हो गए और उन्हें फिर से पकड़ लिया गया उसके बाद उन्हें जमीन में गले तक दबा दिया गया जिससे उनकी बहुत सारी नसें और कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से पैरालिसिस का शिकार हो गया

उन्हें 1 सालों तक ऐसे ही जमीन में दबा कर रखा गया था फिर बाद में उन्हें जमीन में से निकालकर हनोई के एक जेल में कैद कर दिया गया

जब उन्हें हनोई के जेल में सेल में डाला जा रहा था तब बाजू के सेल में अमेरिकी नौसेना के एडमिरल जान मैकेन भी कैद थे जो बाद में कई सालों तक अमेरिका में सीनेटर भी बने और राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़े थे

जान मैकेन को लगा कि उनके बगल वाले सेल में कोई अमेरिकी कैद है तो उन्होंने दीवाल पर एलिस प्रिस्ले का एक गाने का धुन थपथपा कर बजाया जिससे अर्नेस्ट समझ गए कि बगल वाले सेल में कोई अमेरिकी कैद है फिर दोनों वर्षों तक इसी तरह दीवाल के थपथपाहट के सहारे एक दूसरे से बात करते रहे

लगभग 8 सालों कठोर यातनाओं को झेलने के बाद युद्ध बंदी अदला-बदली समझौते के तहत उन्हें अमेरिका को सौंपा गया

अर्नेस्ट की हालत बहुत बुरी थी बाद में अमेरिका में उनका इलाज हुआ वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गए

राष्ट्रपति भवन में युद्ध बंदियों के सम्मान में डिनर का आयोजन किया गया था तब वह राष्ट्रपति भवन में पहली बार जान मैकेन से मिले और एक दूसरे को देखा

लेकिन सबसे आश्चर्य इस बात का था कि उन्होंने कभी भी वियतनामी सैनिकों के सामने अपना मुंह नहीं खोला जबकि उन्हें इतना टॉर्चर किया गया था कि कोई भी व्यक्ति इतना टॉर्चर नहीं सह सकता।