कहा नहीं जा सकता कि यह सोच इस्लाम से आती है या मुल्ला- मौलवियों से कि जिन लड़कियों का इस्लाम में यकिन ना हो, उनके सामने प्रेम का अभिनय करो और जब लड़की वास्तव में प्रेम करने लगे तो झट से इस्लाम कुबूल करने का प्रस्ताव रख दो। यदि मुसलमान लड़कों से प्रेम की बुनियाद ही सामने वाले को मुसलमान बनाना है तो फिर ऐसे प्रेम को क्या नाम दिया जाए?
ऐसी मक्कारी के अनगिनत किस्से हैं, जो सामने नहीं आते। कम्यूनिस्ट शासन तो पूरी ताकत लगाकर ऐसे मामलों को दबाने का प्रयास करता है।
मलयालम 'जनम' टीवी ने स्तुति, अतीरा, चित्रा और रुद्रा नाम की चार हिन्दू लड़कियों का दर्द दिखाने का साहस किया है, जिसमें लड़कियों ने बताया कि कैसे वे इस्लामिक जिहादी—पंजों से निकल कर वापस अपने 'धर्म' में लौटी हैं।
केरल के हिंसक कम्युनिस्ट शासन में रहकर जनम टीवी ने जिहादी मानसिकता पर कार्यक्रम आन एयर करके जिस तरह के साहस का परिचय दिया है, उसके लिए एक सलाम तो बनता है