प्रमोद गुप्ता's Album: Wall Photos

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आखिर जिसकी पूँछ उठाओ, वो मादीन ही क्यों निकलता है...!!!

ये वाकया उस समय का है जब देश की आजादी चंद कदमो के फासले पर खड़ी थी। भारत पाकिस्तान का बंटवारा तय हो गया था। सिंध, पंजाब और बंगाल में भयंकर मार-काट मची हुई थी। चारो ओर हिन्दुओं की लाशें गिर रहीं थीं, नेशनल मुस्लिम गार्ड के गुंडे दंगो की खुलेआम अगुवाई कर रहे थे। उस समय देश के इस हिस्से (पंजाब/सिंध) में कुछ लोग यात्रा कर रहे थे, वो भी भिन्न भिन्न मंतव्यों के साथ।

यात्रा का शुभारंभ महात्मा गांधी ने कश्मीर के दौरे से शुरू किया था। कश्मीर दौरे का उनका मंतव्य मात्र था कि किसी भी तरह से राजा हरि सिंह के उस समय के दीवान रामचंद्र सिंह काक को पदच्युत करवाना। आपकी जानकारी हेतु बता दें कि ये वही रामचंद्र सिंह काक थे, जिन्होंने वक्त की नजाकत को भांपते हुए शेख अब्दुल्ला को कैद करवा लिया था और पंडित नेहरू के कश्मीर आगमन पर प्रतिबंध लगवा दिया था। खैर महात्मा गांधी का प्रयत्न काम आया और रामचंद्र सिंह काक को उनके ही घर में नजरबंद कर लिया गया एवं शेख अब्दुल्ला की रिहाई सम्भव हुई। उसके बाद कश्मीर में कैसे नंगा खेल खेला गया, सभी परिचित हैं।

दूसरे मोर्चे में शामिल थे संघ के द्वितीय संघचालक, माधव सदाशिव गोलवलकर। लोवर पंजाब से शुरू हुआ उनका यह दौरा लाहौर जाकर समाप्त हुआ। नेशनल मुस्लिम गार्ड की जान से मारने की धमकियों के बाबजूद गोलवलकर अपने पूरे दौरे में केवल इसी बात पर चिंतन कर रहे थे और स्वयंसेवकों को तैयार कर रहे थे कि कैसे दंगाग्रस्त उस क्षेत्र से हिन्दुओं की सकुशल भारत वापसी हो। ठीक उसी समय करांची की एक बड़ी हवेली में 6 अगस्त, 1947 को श्रीमती सुचेता कृपलानी लगभग सौ-सवा सौ सिंधी महिलाओं की बैठक ले रहीं थीं।

ये सभी सिंधी स्त्रियाँ इतने असुरक्षित वातावरण के बावजूद इस हवेली पर एकत्रित हुईं थीं। सुचेता कृपलानी के पति, आचार्य जे बी कृपलानी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। कांग्रेस द्वारा विभाजन का निर्णय स्वीकार किये जाने के कारण सीमावर्ती इलाकों में जनमत बेहद क्रोधित था। अतः गृह प्रान्त में कांग्रेस के खिलाफ उबल रहे इस वातावरण को शांत करने के लिए दोनो पति-पत्नी प्रत्यन करने में जुटे थे। वे सिंधी औरतें सुचेता कृपलानी से शिकायत कर रहीं थीं कि वे कितनी असुरक्षित हैं साथ ही वे सिंधी औरतें अपने ऊपर हुए मुसलमानों के नृशंस अत्याचारों के बारे में भी बता रहीं थीं कि कैसे दिन-दहाड़े नेशनल मुस्लिम गार्ड की अगुवाई में मुस्लिम गुंडे उनके घर जला रहे थे, उनके परिवार का कत्लेआम कर रहे थे, उनके व उनकी बेटियों के साथ बलात्कार हो रहे थे।

लेकिन इन महिलाओं के कथनों से सुचेता कृपलानी सहमत नही थीं। वह आवेश में आकर अपना पक्ष प्रस्तुत करती हैं

"मैं पंजाब और नौआखाली में सरेआम घूमती हूँ। मेरी तरफ तो कोई मुस्लिम तिरछी निगाह से भी देखने की कोशिश नही करता। क्योंकि न तो मैं 'भड़कीला मेकअप' करती हूँ और न ही 'लिपस्टिक' लगाती हूँ। आप सभी महिलाएं 'लो-नेक' का ब्लाउज पहनती हैं, 'पारदर्शी साड़ी' पहनती हैं। इसीलिए मुस्लिम गुंडों का ध्यान आपकी तरफ आकर्षित होता है। आप ही स्वयं उन्हें आमंत्रण देने का कार्य करती हैं। और मान लीजिए यदि किसी मुस्लिम ने आप पर आक्रमण भी कर दिया, तो आपको राजपूत बहनों का आदर्श अपने सामने रखना चाहिए, जौहर करना चाहिए"

उस बड़ी सी हवेली में बैठी, अपने प्राणों की बाजी लगाकर किसी तरह एक-एक दिन गिनने वाली, उन घबराई हुईं सिंधी महिलाओं को सुचेता कृपलानी के इस वक्तव्य पर क्या कहें, कुछ समझ नही आ रहा। वे सभी सिंधी महिलाएं अक्षरशः अवाक थी। एक राष्ट्रीय अध्यक्ष की पत्नी उन औरतों की किस तरह से हौसला अफजाई कर रही थी..?? ऐसे घोर संकट के समय क्या वे सिंधी औरतें भड़कीला मेकअप कर रहीं होंगी..?? लो-कट ब्लाउज पहन रही होंगी..?? लिपस्टिक लगा रही होंगी..?? जबकि उनका समूचा परिवार मौत के दहाने पर खड़ा हो। और यदि कर भी रही होंगी तो क्या सुचेता कृपलानी मुसलमानों का उन महिलाओं के साथ बलात्कार करने के लिए आह्वान करने गईं थीं..??आखिर क्या बलात्कार की स्थिति में उन सिंधी महिलाओं को जौहर कर लेना चाहिए था..??

लेकिन सच है कि मानवता को झकझोर देने वाले, उन सिंधी महिलाओं के करुण क्रंदन के समय भी कांग्रेस के नेता ही नही बल्कि उनकी पत्नियां भी जमीनी वास्तविकता से कोसो दूर मुस्लिम तुष्टिकरण की घोर प्रशंसक रहीं थीं। जबकि उन्ही सुचेता कृपलानी के बारे में ये मशहूर था कि जब सुचेता कृपलानी नौआखाली में घूम रही थीं, तब वो अपने साथ सायनाइड का कैप्सूल साथ रखती थीं। क्योंकि उस वक्त वहां पर औरतों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा था जैसा कि सिंध प्रांत की उन महिलाओं के साथ। बड़े ही खेद का विषय है कि स्वयं का कोई बलात्कार न कर दे, इस डर से सुचेता कृपलानी साइनाइड का कैप्सूल हर समय साथ लेकर घूमती थी और उन बेचारी सिंधी महिलाओं को जौहर करने की सलाह दे रहीं थीं। सुचेता कृपलानी के इस दौरे को तत्कालीन पाकिस्तानी अखबार द्वारा भी छापा गया था। अखबार की कटिंग कमेंट बॉक्स में उपलब्ध है।

"ग्रेट वुमन ऑफ मॉडर्न इंडिया" नामक किताब में सुचेता कृपलानी के इस अदम्य साहस की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है।

संदर्भ श्रोत : वे पंद्रह दिन
प्रशांत पोल

Sachin Tyagi