प्रमोद गुप्ता's Album: Wall Photos

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सन 1991, अयोध्या की भूमि पर उस वक्त बाबरी ढांचा मौजूद था। श्री राम को राजनीति के केंद्र में लाने का प्रयास जारी था इसलिए अक्सर वीआईपी और वीवीआई अयोध्या जाते रहते थे। ढाँचे के ठीक नीचे ही एक स्टूडियो था, रामलला स्टूडियो। एक फोटोग्राफर ज्यादातर वक्त वहीं जमे रहते थे, उनका नाम था महेंद्र त्रिपाठी। महेंद्र त्रिपाठी राममंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में गवाह रहे है औऱ भारतीय पुरात्वव सर्वेक्षण से लेकर सीबीआई तक ने उनके द्वारा ली गई तस्वीरों का इस्तेमाल मुकदमे में सबूतों के तौर पर किया।

अप्रैल1991 में ढांचे के नीचे मौजूद गर्भगृह में रामलला के दर्शन करने पहुँचे मुरली मनोहर जोशी। साथ मे बीजेपी नेशनल इलेक्शन कमेटी के सदस्य नरेंद्र दामोदर दास मोदी। उस वक्त फोटोग्राफर महेंद्र त्रिपाठी नें जोशी जी के साथ मोदी जी की एक तस्वीर ली थी जो आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस वक्त की एकमात्र तस्वीर है। जब महेंद्र त्रिपाठी को पता चला कि जो व्यक्ति जोशी जी के साथ है वो गुजरात से आए है तो उन्होंने पूछा आप अगली बार अयोध्या कब आओगे तो मोदी ने तत्काल कहा जब राम मंदिर निर्माण शुरू होगा तब।

इन 29 सालों में सरयू में बहुत पानी बह गया। नरेंद्र मोदी साधारण बीजेपी कार्यकर्ता से गुजरात के मुख्यमंत्री बने और फिर दो बार देश के प्रधानमंत्री। इस दौरान उन्होंने एक बार भी अयोध्या की ओर मुंह नहीं किया। बगल से गुज़र गए मगर तंबू में बैठे रामलला के दर्शन करने नहीं गए। उनका मजाक उड़ाया गया कि मंदिर वहीं बनाएंगे पर तारीख नहीं बताएंगे। विरोधी तो छोड़िए अपने भी अयोध्या न जाने पर ताने मारते रहे। आगरा के पागल खाने से रह रह कर चीखने की आवाज़ें आती रही,मोदी रामलला के दर्शन करने क्यों नहीं जा रहे। मगर मोदी बिना किसी से कुछ बोले चुपचाप अपने संकल्प पथ पर बढ़े जा रहे थे। वो कभी राम को नहीं भूले मगर उनपर साबित करने का दबाव जारी रहा, अपनो द्वारा भी गैरों द्वारा भी। उन पर इल्ज़ाम लगाया गया कि राम के नाम पर सत्ता पाने के बाद मोदी राम को भूल चुके है।मोदी क्या कर रहे थे आज सब को दिख रहा है।

जब वाल्मीकि नें रामायण लिख ली तो उन्होंने इसे सबसे पहले गन्धर्वो को पढ़ाया। वो भाव विभोर हो गए। नागों को पढ़ाया तो वो बोले ऐसा अद्भुत काव्य हमने कभी नहीं पढ़ा। देवताओं को पढ़ाया तो उनके चक्षुओं से अश्रु धारा बह निकली। फिर नारद को पढ़ाया तो वो बोले बहुत अच्छा काव्य है पर मैंने इससे अच्छा रामायण काव्य पढा है। वाल्मीकि आश्चर्यचकित रह गए और चिंतित मन से उन्होने पूछा, किसने लिखा है मुझसे बेहतर रामायण काव्य। नारद ने कहा, हनुमान नें। वाल्मीकि हनुमान को ढूंढते हुए कदली वन पहुँचे। वहाँ जाकर उन्होंने हनुमान से उनकी रामायण पढ़ने का आग्रह किया। हनुमान ने केले के पत्तों पर रामायण लिखी हुई थी। वाल्मीकि उसे पढ़कर रोने लगे। हनुमान ने कारण पूछा तो बोले आपकी लिखी रामायण पढ़ने के बाद कोई मेरी रामायण नहीं पढ़ेगा। इससे बेहतर रामायण काव्य न लिखा गया है और न लिखा जाएगा। हनुमान मुस्कुराए और उन्होंने केले के पत्तों पर लिखी रामायण फाड़ दी। वाल्मीकि ने कहा ये आपने क्या किया तो हनुमान बोले, तुमने रामायण लिखी है ताकि लोग राम के साथ तुम्हे याद रखें। मैने रामायण इसलिए लिखी है ताकि मैं राम को याद रखूँ और रामकाज का अपना संकल्प पूरा कर सकूँ।

मोदी 29 सालों में इसलिए कभी अयोध्या नहीं गए ताकि वो राम को याद रखें, रामकाज का संकल्प जो उन्होंने किया था उसे याद रखें। आगरा के पागलखाने से राम राम चिल्लाने की आवाज़ इसलिए आती रही ताकि लोग उसे याद रखे। मोदी ने राम को याद रखा, विरोधियों ने मोदी को याद रखा और जिन्होंने रामकाज में अपने प्राण न्योछावर किए है, उन्हें राम याद रखेंगे।
जय राम जी की