Love with reality's Album: Wall Photos

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लोग कहते है कि श्रृंगार पर स्त्री का हक हैं, मै कहती हूँ श्रृंगार तो पुरुष भी करते हैं बस देखने का अपना नजर होना चाहिए.. पुरुष स्त्री के विपरीत श्रृंगार करते है।
वे आईने को नहीं देखते, वे खुद की आँखो में झाँककर खुद को निहारते है..!

वो बालों को जमाने के लिए कंघी नहीं करते क्योंकि उसके लिए तो उनकी उंगलियां ही काफी हैं। कंघी तो बस बालों की कुछ उलझन सुलझाने के लिए होती हैं।

वो शर्ट और टी शर्ट में फर्क नहीं करते, क्योंकि उनके लिए बस बदन को ढंकना जरुरी है.. स्त्री की आँखो में खुद के शर्म बचाए रखने के लिए।

वो अक्सर पेंट पर बेल्ट को लगाने की मान्यता नहीं देते अपितु वे कमर पर वजन को लादने से अच्छा, साइज का पेंट खरीदने की कोशिश करते हैं।

वो अपने जूतों को पहनने में तो जरा भी वक्त जाया नहीं करना चाहते इसलिए साइज से आधा इंच बड़ा जूता पहनते हैं ताकी जूतों को पहनने में अपने हाथों की चार उंगलियां ना दबानी पड़े।

वो नहीं जमाते अपना कमरा ठीक से क्योंकि उन्हें जमावट से अधिक बिखराव पसंद होता है, ठीक उसी तरह जिस तरह बिखरे बालों में ज्यादा खुबसुरत लगते हैं।

वो बेहतर तरीके से जानते हैं छुपाना अपनी भावनाओं व संवेदनाओ को, वे बेहतर तरीके से लड़ना जानते हैं विपदाओं से, वे बेहतर तरीके से जीतना जानते हैं किसी हार के बाद।

जीवन की वे बातें जो उन्हें सबसे सामर्थ्यवान बनाती हैं, वही बातें.. उन्हें सबसे प्रिय होती है, क्योंकि पुरुष अपने पौरुष को साथ में लेकर चलना पसंद करता है।