एक नजरिया,,,
रामदेव बाबा का गलती है कि वो गेरूआ पहनते हैं । लिबरलों का डर है कि किसी भी हाल में क़ोई भी गेरूआधारी रिलायबल ब्रांड के रूप में स्थापित नहीं हो सके। इधर के खेमें में संस्कृत की कहानी वाले चार चतुर हैं ।
ब्रिटेन के भारी - भरकम वैज्ञानिक और डाक्टरों के टीम ने मिलकर पता लगाया कि सेंधा नमक , हल्दी गर्म पानी में डालकर गरारा करने से कोरोना के 60% मरीजों को फ़ायदा हुआ ।
वाहवाही हुआ !! ( मैंने पढ़ा लेकिन ख़बर के सत्यता का पुष्टि मैं नहीं कर सकती । )
ये ईलाज भारत के घरों में सदियों से हो रहा है। शुरू- शुरू में जिसने भी कोरोना में इस तरह का सुझाव या काढ़ा का सुझाव दिया उसके अपने यहाँ के ज्ञानियों ने ख़ूब ट्रोल किया ।
अपने हर चीज़ को नीचे दिखाना बंद करना चाहिए ।
हम सैकड़ो तरह से विदेशों के बिजनेस हाउसों के द्वारा रोज़ लूटे जा रहें फ़िर हम उनके प्रति श्रद्धा से मरे जाते हैं । विटामिन की गोलियों से लेकर मुफ़्त के खर- पतवार को जादुई हर्बस् कहकर सैकड़ों में बेचा जा रहा है ।
रामदेव पिस्तौल दिखाकर तो बेच नहीं रहें । मत खरीदो।
अभी गिलोय को अमेरिका या ब्रिटेन का क़ोई डाॅक्टर रिकमेंड कर दे तो बिना सोचे - समझे हज़ारों रूपया का गिलोय बकरी जैसा चबा जाइएगा। अलग बात है कि उस रिकमेंडेशन के पीछे भी क़ोई मुनाफ़ा तंत्र होगा ।
रामदेव बाबा पर हर बार इतना आक्रामक होने का क्या ज़रूरत है । एलोपैथी भी कितने केसों में फेल हो जाता है।
एक प्रयास किएं हैं । सरकार उसका ट्रायल करके बता दे कि बेकार है कि नुकसानदायक है कि सही है।
बाकी रामदेव बाबा किसी के मुँह में ठूसने तो आ नहीं रहे हैं।