Sunil Kumar Nahak's Album: Wall Photos

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थोड़ी देर पहले नेशनल जियोग्राफी पर एक प्रोग्राम देखा रहा था... जिसमे अमेरिका के कुछ लोग कुछ आदिवासियों को जंगल से लाकर वहां शहर की चकाचौंध और रंगीनियाँ दिखा कर उनको प्रभावित (इंप्रेस) करने की कोशिश करते हैं...

इन लोगों के साथ घुमते हुए एक आदिवासी बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स देखता है... "वाह इतने सारे घर".. बोलते हुए, वो बड़ा खुश होता है.. फिर वो देखता है की सड़क किनारे भी लोग हैं जो भीख मांगते हैं... और रेन-बसेरे में रात बिताते हैं।

वो उन कार्यक्रम बनाने वालों से पूछता है कि “ये सब लोग बाहर क्यूँ पड़े हैं.. जबकि आपके पास इतने सारे घर हैं शहर में??

आयोजक जवाब देता है “जो घर आप देख रहे हैं वो इन सबके नहीं हैं.. वो दुसरे लोगों के हैं।”

आदिवासी पूछता है “मगर वो सारे घर तो खाली थे.. उनमे कोई क्यूं नहीं रहता??”

आयोजक बोलता है “वो अमीर लोगों के घर हैं.. यहाँ लोगों के पास कई-कई घर होते हैं.. लोग पैसा इन्वेस्ट करने के लिए घर खरीद लेते हैं.. कीमतें बढ़ने तक इंतजार की जाती है... वो इसीलिए खाली पड़े रहते हैं।”

आदिवासी कहता है “ये किस तरह की सभ्यता है आपकी.. किसी के घर खाली पड़े हैं और लोग सड़कों पर रह रहे हैं.. जबकि पूरी उम्र आपको रहने के लिए सिर्फ एक घर ही चाहिए.. आप अपने अतिरिक्त घर अपनी और नस्लों को क्यूँ नहीं दे देते हैं? ऐसे घरों का क्या करेंगे आप?”

फिर वो आगे बोलता है “हमारे जंगल में जब कोई नवयुवक शादी करता है तो हम सारे गाँव वाले मिलके उसके लिए घर बनाते हैं.. अपने हाथ से उसका छप्पर बनाते हैं और मिलकर बांधते हैं.. ऐसे हम एक दुसरे के लिए अपने हाथों से घर बनाते हैं और अपने बच्चों को बसाते हैं”

इतनी बात सुनकर कार्यक्रम वाले शर्मिंदा हो जाते हैं... और उन्हें समझ आता है कि जिस सभ्यता की डींग मारने के लिए वो इन आदिवासियों को लाए हैं... इन्होने ही हमारे सभ्य होने का भ्रम चकनाचूर कर दिया... एक सीधे और भोले सवाल से... और समझा दिया कि दरअसल हम लोगों की सभ्यता, सभ्यता है ही नहीं.. अपनी ही आने वाली नस्लों का शोषण है बस