दुश्मन सिर पर खड़ा हो
तब बात कहाँ होती है
जरूरी होती है एक मुलाकात
आंखों में आंखे डालकर
अंदर तक पिघला देने वाली
नजर के साथ
दहला दे जो निगाह
दुश्मन का कलेजा
चीर दे ,जो नजर से ही
दुश्मनों को
भर दे खौफ ऐसा,
सोच कर ही
कांप जाए रूह दुश्मनों की
असर कुछ ऐसा हो
उस मुलाकात का
जो सोने न दे दुश्मनों को
स्वप्न में देखें कि
दुश्मन सिर पर खड़ा है
पैर उसका सीने पर रखा है
डर कर पेंट ,गीला उनका हो जाये
मुलाकात ऐसी जो बदल दे
इतिहास और भूगोल दुश्मनों का
कर न सके फिर गुस्ताखी
डर इतना भर दे
उस मुलाकात की टीस
जीवन भर रहे याद
अब न हो दुबारा मुलाकात
बस यही करे फरियाद।।।