अब यह लगभग लगभग तय सा हो गया है कि
#भूरीकाकी को कंगाली से अब कोई नही बचा सकता।
उसकी पाप की लंका का ढहना तय मानिए।
यह कहावत सही साबित होने वाली है,,,
"धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का।"
खबर चीन को लेकर है।
मेडम भूरी ने स्विस बैंक पर भारत सरकार के बढ़ते दबाव के चले अपना समस्त लूट का पैसा चीन के बैंकों में जमाकर रखा है।
उसे अपने लूट के माल की रखवाली के लिए चीन से बेहतर बाउंसर / गुंडा और कोई नही लगा।
उसे लगा कि चीन महाशक्ति है और वह भारत के दबाव में आने वाला नही है।
किन्तु मेडम भूरी बाई
चीन की अतीत की फितरत को नजरअंदाज कर उस पर भरोसा करने की एक और भूल कर बैठी।
भारत की प्रतिक्रिया और उसको मिल रहे अपार वैश्विक जनसमर्थन के चलते चीन की अर्थ व्यवस्था डगमगाना शुरू हो गई।
चीन के बड़े बड़े बैंकों पर आर्थिक संकट मंडराने लगे है कई बैंक दिवालिया होने की कगार पर पहुंच रहे है।
ऐसे में चीनी सरकार ने एक सर्क्युलर जारी कर अपने बैंकों को बचाने के लिए यह आदेश दिया है कि बैंक से एक लाख युआन से अधिक की निकासी के लिए चीनी सरकार की अनुमति लेना होगी ।
उसे डर था कि इस समय उसके बैंकों में पड़ी विदेशियों की अरबों डॉलर की सम्पत्ति कही वे लोग निकाल ना ले इसलिए
अब चीन की नजर उस पैसों पर लगी हुई है।
भूरी काकी अब फंस मरी वो ना तो किसी से कुछ कह सकती न क्लेम कर सकती न कानूनी कार्यवाही कर सकती।
अब चीन भूरी काकी को तबियत से ,,,,,, ने वाला है।
और
वह चीं भी नही कर पाएगी।