सत्य स्वयं को उजागर कर रहा है.. स्वच्छ श्वेत वस्त्रों पर काला-दुपट्टा, इनके छुपे अजेंडा को बता रहा है ? पता कीजिए उस प्रत्येक कथा-वाचक का जो इस वेश-भूषा मे है, संभवतः ये सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे मिलेंगे..
मुझे ज्ञान नहीं कि क्या सनातन धर्म मे संतों के अथवा कथा-वाचकों के काला दुपट्टा पहनने की कोई परंपरा है ? काला रंग सामान्यतः अंधकार, असत्य, असुरों, राक्षसों का प्रतीक है।
क्या कारण रहा कि इन्होंने भगवा का त्याग कर, स्वच्छ श्वेत रंग के ऊपर काला / अंधकार रूपी दुपट्टा अपनाया ?
संभवतः सत्य स्वयं को उजागर कर रहा है। काले दुप्पटे मे छुपे कालनेमि राक्षसों के चेहरे का कटु-सत्य सामने आ रहा है। भगवा से इनकी नफरत, और काले / राक्षसी रंग से इनके प्रेम अर्थात इनकी तामसी प्रवृत्ति सामने आ रही है। समय रहते चेतिये व इनका सम्पूर्ण बहिष्कार कीजिए..