Sushil Jain's Album: Wall Photos

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इस आदमी को क्या हो गया है ?
भला मातृभूमि के प्रति ऐसी दीवानगी भी कोई दिखाता है ?
पहले अपनी जान जोखिम में डालकर अफगानिस्तान से स्वदेश लौटते बीच रास्ते अपना विमान लाहौर मुड़वा दिया !
सीधे जा पहुंचे कट्टर दुश्मन देश के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर !
और अब चुपचाप युद्ध के हालात में सीधे भारत चीन के बार्डर पर ?

ऐसा भी कभी होता है ?
कभी होली मनाने बॉर्डर पर !
कभी दिवाली मनाने सीमाओं पर ?
भला राष्ट्राध्यक्षों के साथ कोई बनारस में गंगा के घाटों पर , गुजरात में साबरमती के किनारे और तमिलनाडु में महाबलीपुरम जाता है ?
यह भी कोई बात हुई कि कभी हायडी मोदी और कभी नमस्ते भारत ?
कभी इस देश में भारतवंशियों से मुलाकात तो कभी उस देश में बातचीत ?

अरे सीधे सीधे दिल्ली में बैठो , बातें करो और वापस भेजो ?
यह क्या बात हुई कि झूला झुलाओ आरती दिखाओ और आम के बागों में बिठाकर चाय पिलाओ ?
यह कौनसी बात है कि चीन का नाम भी नहीं लिया और उसे विस्तारवादी बताकर नंगा कर दिया ,,,
अच्छी बात नहीं कि घायल जवानों का हालचाल पूछने लेह के अस्पताल पहुंच गए ?
पीएम दिल्ली के दरबारों में बैठते हैं , रेगिस्तानों और चट्टानों में वक्त नहीं बिताते ,,,
अरे पहाड़ों पर ही जाना था तो शिमला नैनीताल जाते ?
लद्दाख के निम्मू बेस कैसे पहुंच गए ?

भारत में उनको परेशानी है कि चीन का नाम क्यौं नहीं लिया । अरे भाई नाम लिया नहीं जाता , बिना लिए उन तक पहुंच जाता है । देखा न ! जिनपिंग , चीन के विदेश मंत्रालय और भारत में चीनी दूतावास तक बात पहुंच गई । दोनों जगह से मोदी के भाषण पर प्रेस बयान जारी किए गए । मतलब मोदी का लद्दाख जाना और चीन का नाम न लेना भी वहीं पहुंचा जहां ठिकाना था । चीनी विदेश मंत्रालय को बड़ी सधी हुई प्रतिक्रिया देने पर मजबूर होना पड़ा ।

भारत ने कूटनैतिक मोर्चे और विश्व राजनयन में चीन को मात दे दी है । गलवान घाटी में भी चीन को करारा सबक सिखाया गया है । अब मोदी के जाने से फौज मोदी की जबरदस्त फैन हो गई है । युद्धों में सेनापति और सेनानायक का बड़ा महत्व होता है । सच कहें तो संकट के ऐसे अवसरों पर सेनापति के कपड़े भी मायने रखते हैं । अंदाजेबयां और वाणी की गरज मायने रखते हैं । मोदी के इस अचानक फैसले ने चीन को बुरी तरह उलझा दिया है । उससे न तो निगलते बने और न उगलते ।

देश के तमाम विपक्ष ने संकट की इस घड़ी में मोदी सरकार को पूर्ण समर्थन दिया है । मुलायम , मायावती , चंद्रबाबू , ममता , स्टालिन , देवेगौड़ा , उद्धव , शरद पंवार आदि सभी प्रधानमंत्री के साथ खड़े हैं । बुरी तरह आग केवल उन्हें लगी है जिनसे दरबार छिना है और जिनकी किस्मत ही मरणधर्मा हो चली है । उन्हें उनके हाल पर छोड़ते हैं । आइए , देश के लिए सरकार के साथ खड़े हो जाएं ।
कौशल सीखोला की पोस्ट