पालघर दो साधुओं और ड्राइवर हत्याकांड में वही हुआ जो सोनिया गांधी चाहती थीं। चार्जशीट में नक्सली-ईसाई गठजोड़ के रोल की पूरी बात हटा दी गई है। कैमरे के आगे साधुओं और ड्राइवर को दरिंदों के हाथ में सौंपने वाले पुलिसवालों को भी लगभग क्लीनचिट दे दी गई। केस लड़ रहे वकील की भी रहस्यमय हालात में मौत हो चुकी है। सेकुलर व्यवस्था में हिंदुओं को न्याय की उम्मीद तो वैसे भी नहीं होनी चाहिए। फिर भी माइनो और ठाकरे ख़ानदान के माथे पर यह पाप हमेशा दर्ज रहेगा।।