Harish Parashar's Album: Wall Photos

Photo 135 of 2,630 in Wall Photos

फर्क समझिये- युद्ध के समय वो अपनी विवाहित पुत्री को चीन के राष्ट्रपति के साथ वाइन पिलवाते थे , ये मोदी "टेंटुआ" दबाकर पीछे हटने पर मजबूर करता है :-

साल था 1962 . युद्ध अभी नहीं शुरू हुआ था. चीन, भारत की 12,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर चुका था. नेहरू आखिर तक अपने चीनी दोस्त प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई को मनाने में जुटे थे. नेहरू ने चाऊ को दिल्ली आमंत्रित किया .

चाऊ एक हफ्ते दिल्ली रहे. दिन में बैठकें होती और रात में होती थी शानदार दावतें. उस समय के 'इंडियन एक्सप्रेस' ने एक दिन तस्वीर छापी जिसमें भारत-चीन दोस्ती के नाम चाओ एन लाई बेहद सलीकेदार ढंग से साड़ी पहने युवा इंदिरा गांधी के साथ जाम टकरा रहे थे. बगल में उपराष्ट्रपति एस राधाकृष्‍णन थे, उनके हाथों में भी जाम था.

ये बातचीत नाकाम रही. चाऊ चाहते थे सीमा पर यथास्‍थति बनी रहे. यानी अक्साई चिन पर चीन का जो कब्जा है वह बना रहे.

नेहरू ने कहा- "कौन सी यथास्थिति? आज की या दो साल पहले की. आज जो यथास्थिति है वह दो साल पहले की यथास्थिति से बिलकुल जुदा है. अगर पहले की यथास्थिति अलग है तो उसे आज की यथास्थिति मान लेना गलत है."

चीन शुरू से यही करता आया . वह तीन कदम आगे बढ़ता . फिर वार्ता करके दो कदम पीछे हटता . और बाकी कब्जा किए एक कदम पर अपनी पोस्ट बना लेता. और कहता है इसी को यथास्थिति मान लीजिए.

चीन लद्दाख सीमा की गलवान घाटी पर भी इसी फार्मूले के तहत आगे बढ़ा. लेकिन इस बार सामने नरेंद्र मोदी थे . दावत , वाइन आदि तो छोड़िए , मोदी ने आक्रामक कूटनीति करते हुए चीन और जिंग पिंग का वो "टेंटुआ" दबाया है कि चीन को पहली बार हार स्वीकारते हुए कदम पीछे खींचने पर मजबूर होना पड़ा है ।

चीन ने अधिकृत तौर पर कुछ देर पहले बयान जारी कर कहा है कि गलवन घाटी में झड़प वाली जगह से चीनी सेना 1-2 किमी पीछे हट गई है। चीनी सैनिक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत पीछे हटी है। जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिक अपने टेंट भी पीछे हटा रही हैं। हालांकि "धोखेबाज" चीन पर लगातार नजर बनाए रखनी होगी । वह पलट कर वार जरूर करेगा। लेकिन अबकी बार उसका सामना मोदी से है जो पूरी मजबूती के साथ अपनी वीर और देशभक्त सेना के पीछे खड़ा है ।

पप्पू और उसके चमचे जो इस विवाद में लगातार उल जलूल बयानबाजी कर सेना और देश का मनोबल तोड़ने का प्रयास कर रहे थे , उनके लिए ये करारा थप्पड़ है । उनको समझना होगा कि "लंबी नाक" वाली दादी का चीन के राष्ट्रपति के साथ वाइन पीना, उस दौर की हुकूमत की कमजोरी थी । आज ये छप्पन इंच का सीना इस देश की खातिर दुश्मनों को उल्टा लटकाने का माद्दा रखता है ।

इतना ध्यान रखिएगा कि वक्त आने पर इतिहास सबका मूल्यांकन करता है ।