रानी पद्मावती ने भी लड़कर मरने के बजाय जौहर चुना..
नेक्रोफिलिया- एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति शव यानी लाश यानी डेड बॉडी के साथ दुष्कर्म करता है..
अगर मनोवैज्ञानिकों की मानें तो सामान्य रूप से यह बीमारी हर 10 लाख व्यक्तियों में से एक को होती है, लेकिन कुछ विशेष लोगों में हर दसवां व्यक्ति नेक्रोफिलिया का शिकार है.
यानी जिंदा तो जिंदा अगर लड़की की लाश भी मिल गई या खुद भी उसकी हत्या करनी पड़ी है तो भी दुष्कर्म जरूर करेंगे.
मिस्र की साम्राज्ञी क्लियोपेट्रा ने जो मौत चुनी उससे दुनिया स्तब्ध थी, आखिर क्यों एक औरत नग्न अवस्था में अपने स्तन पर सांप से डसवाएगी, लेकिन वो जानती थी कि जिसने मिस्र पर हमला किया है वे बर्बर फ़ौज के लोग हैं। स्तन पर दंस मरवाने से पूरे शरीर में जहर फैल जाएगा, तो कोई इंफेक्शन के डर उसकी मृत देह के साथ बर्बरता नहीं कर पाएगा। साथ ही स्तन को कुचल नहीं पाएगा, वहशियों का क्या वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। फिर भी आपको बता दूं कि इतिहासकार कहते हैं कि उसके शव के साथ तीन हज़ार बार बलात्कार किया गया था।
रानी पद्मावती ने भी लड़कर मरने के बजाय जौहर चुना। अभी जब पिछले दिनों फ़िल्म आई तो कितने लोगों ने कहा कि वो तो योद्धा थी। लड़कर क्यों नहीं मरी?? जौहर क्यों चुना??
तो इसका स्पष्ट कारण था ख़िलजी और वैसे ही दरिंदो की फ़ौज। रानी जानती थी की अगर लड़ते हुए उसने और उसकी साथी वीरांगनाओं ने जान दी तो उसके शरीर के साथ क्या होगा?? दुनिया इस असलियत को जानती है, सिर्फ हमारे बच्चों से इसे छुपाया गया है, नेक्रोफिलिया..
बहनों, जो पूरे विश्व में अपनी दरिंदगी और हवस के लिए प्रसिद्ध हैं, जो शव को भी नहीं छोड़ते हैं।
अगर तुम लोग इस चक्कर में आ गई कि
"सब एक जैसे नहीं होते"
तो याद कर लेना #क्लियोपेट्रा और रानी पदमावती को,,,
।। उत्तिष्ठ भारतः।।
- कहीं किसी शब्द पर बंधु या बहनों को आपत्ति हो सकती है, लेकिन विषय की गंभीरता समझकर मुझे क्षमा कर देंगे।
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