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हज में ऊंटनी प्रेम प्रथा ?
कुछ लोग समझते हैं कि हज एक तरह की तीर्थयात्रा है, लेकिन वहां क्या होता हैं उसके बारे में सिर्फ उतना ही जानते हैं, जितना टीवी में दिखाया जाता है, इस लेख में सही जानकारी दी जा रही है।
हज इस्लाम के पञ्च स्तंभों में एक है, इस्लाम में हर मुस्लिम के लिए हज करना अनिवार्य माना गया है, वास्तव में अरब लोगों में हज की परंपरा इस्लाम से काफी पहले ही प्रचलित थी, उनके कुछ रिवाज इस्लाम ने भी अपना लिए है, जिनमे मुख्य यह हैं-
1-इहराम (إحرام )-बिना सिले सफ़ेद वस्त्र धारण करना
2-तवाफ़ (طواف )-काबा की परिक्रमा करना
3-सई (سعى )-सफा और मरवा नामक पहाड़ियों के बीच दौड़ना
4-रमी अल जमरात (رمي الجمرات ) -शैतान के स्तम्भ पर कंकड़ मारना
हज संबंधी यह रिवाज इस्लाम से पूर्व और मुम्मद के समय भी प्रचलित थे।
इसके अलावा एक ऐसा विचित्र रिवाज था जिसके बारे में मुस्लिम खुल कर नहीं बताते।
सब जानते हैं कि अरब के लोग अय्याश और कुकर्मी होते हैं, वह अपने पालतू पशुओं के साथ भी मैथुन करते थे, खास कर वह लोग ऊंटनियों के साथ सहवास किया करते थे, मुहम्मद यह बात जानते थे, और उन्होंने अपने लोगों को खुश करने के लिए इस कुकर्म को इसलिए जायज ठहरा दिया, ताकि अरब इस्लाम न छोड़ दें
1-पशुमैथुन गुनाह नहीं है
"इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल ने कहा है उस व्यक्ति के किसी प्रकार की सजा नहीं होगी जिसने जानवर के साथ मैथुन किया हो "
Narrated Abdullah ibn Abbas: There is no prescribed punishment for one who has sexual intercourse with an animal.
Abu DawudReference : Sunan Abi Dawud 4465
In-book reference : Book 40, Hadith 115
English translation : Book 39, Hadith 4450
मुहम्मद साहब को डर था कि अगर वह इस कुकर्म को हराम कर देंगे तो नाराज होकर अरब के लोग फिर से पुराने धर्म में लौट जायेंगे, इसलिए उन्होंने सिर्फ हज के समय ऊंटनी से सम्भोग करने की अनुमति दे दी और इस कुकर्म को अनिवार्य कर दिया ,
2- -हज्ज में ऊंटनी के साथ मैथुन जरूरी
الحج إلى مكة المكرمة ليست كاملة دون كلبين مع الجمل
जब तक ऊंटनी के साथ सम्भोग नहीं किया जाता, हज्ज पूरा नहीं होता। अब्दुल्ला इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल ने कहा यह अरब कि यह अरबों की रवायत है। इसमे कोई गुनाह नहीं है। सुन्नन अबू दाऊद-किताब 38 हदीस 4449
3-ऊंटनी सम्भोग बिना हज अधूरा है
हिजरी सन 587 में पैदा हुए सुन्नी हनफ़ी फिरके के इमाम "अबू बकर बिन मसऊद अल कसानी - ابو بكر بن مسعود الكاساني " ने अपनी किताब " बिदाय अल सनाआ फी तरतीब अल शराय - بـدائـع الـصـنـائـع فـي تـرتـيـب الـشـرائـع " में लिखा है
"الحج كاملة دون الجمل الجنس"
"अल हज कामिलेतुन दूंनिल जमल अल जिन्स "
"ऊंटनी से सम्भोग किये बिना हज अधूरा है .
( Haj Pilgrimage incomplete without Camel sex)
Kitāb Badā’i‘ al-s anā’i‘ fī tartīb al-sharā’i‘ بدائع الصنائع في ترتيب الشرائع -
अर्थात -अगर वह व्यक्ति (ऊंटनी न मिलने पर ) किसी जानवर से सम्भोग कर ले तब भी हज व्यर्थ नहीं होगा "
"If he had sexual intercourse with an animal, that will not make his hajj void"
नोट - इस लेख का उद्देश्य किसी की आस्था पर चोट करना नहीं, बल्कि लोगों को सही जानकारी देना है, इस लेख में दिए गए तथ्य उतने ही सत्य हैं, जीतनी यह हदीसें और हनफ़ी इमाम काशानी की किताब है, हमें यह बात इसलिए भी सच लगती है कि हो है सकता है शायद इसी करण से मक्का शहर में गैर मुस्लिमों प्रवेश करना मना है।