1962 के बाद 2020 तक कम से कम 4 जगहों पर चीन ने किया कब्जा
देश के कुछ विद्वान सरकार पर यह भी आरोप लगा रहे हैं कि चीन से विवाद 1962 के बाद 2020 सरकार की नीतियों कारण ही उत्पन्न हुआ है। यह पूरी तरह निरर्थक है क्योंकि साल 1980 से लगातार 2013 तक चीन धीरे-धीरे पूर्वी लद्दाख में अपनी पैठ जमाता जा रहा है। इस तथ्य को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि लद्दाख का पहले बॉर्डर केगुनारो तक हुआ करता था, जो कि अब दूमचले तक ही सीमित रह गया है।
साल 1984 में चीन ने नक्तसंग पर कब्जा किया, साल 1991 में नाकुंग फिर 1992 में लुगमा सर्गिंग को चीन भारत से हड़प लिया है। उसके बाद साल 2008 में काकजुंग को भी भारत ने अपनी खराब विदेश नीति के चलते खो दिया। वर्ष 2013 में तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारतीय क्षेत्र में 18-19 किलोमीटर तक घुस आई थी। लेकिन केंद्र ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया।
तत्कालीन सरकार का चीनी प्रेम एक श्याम सरन रिपोर्ट द्वारा बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है, जो कि 2013 में आई। इसमें यह स्पष्ट किया गया था कि चीन ने भारत का 640 स्क्वायर किलोमीटर अपने कब्जे में कर लिया है। तब तत्कालीन सरकार ने इस रिपोर्ट को एक सिरे से खारिज कर दिया था और मीडिया की इस खबर को गलत बता दिया था।
तत्कालीन सरकार के चीनी प्रेम की पोल तब खुल गई जब चीनी सेना ने 2013 में भारतीय वायु सेना को राखीनाला में जाने से रोक दिया था। राखीनाला वही जगह है जहां भारतीय वायु सेना ने वर्ष 2008 में दुनिया की सबसे ऊंची एयरलाइन लेंडिंग स्ट्रिप्स बनाई थी ।लेकिन तब सरकार पर किसी प्रकार का कोई सवाल नहीं उठा, मीडिया ने भी अपनी चुप्पी साध रखी थी। जब वर्तमान में भारत सरकार चीन के प्रति कड़ा रुख अपना रही है तो विपक्ष मोदी सरकार पर जमकर हमला बोल रहा है जो कि उनका चीनी प्रेम साफ साफ दिखा रहा है।
चालबाज चीन तो हमेशा से ही विस्तार वाद की नीति में विश्वास रखता रहा है, और अपनी झूठी मासूमियत की तस्वीर पूरे विश्व के सामने पेश करता रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण कोरोना महामारी है जो बेशक चीन द्वारा ही फैला ही गई है। हालांकि जब भी इस सम्बन्ध में कोई भी प्रश्न पूछा जाता है, वह चुप्पी साध लेता है।