ओम प्रकाश पटेल's Album: Wall Photos

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मध्य प्रदेश में किसानों के ऊपर हुए सो कॉल्ड अत्याचार पर दुख व्यक्त करने से पहले आइये किसान के नाम पर इस गिरोह की सच्चाई जानें..

करीबन दस साल पहले जम्मू मे एक चोरी हुई थी जिसमे चोरो ने घर के बूढे सदस्यों से लेकर छ महिने के बच्चो तक को पेचकस से गोद कर मार डाला था बाद मे घर मे उपलब्ध सामग्री से खाना बनाकर खाया ।

बडौदा, सूरत, धुलिया, दिल्ली इंदौर,भोपाल, मुंबई तक मे ऐसे दर्जनो नहीं सैकड़ों केस हो चुके जिसमें चोरी करने के बाद घर के समस्त असहाय लोगो को भी पीट पीटकर मारा गया, पेचकस से गोदा गया, सब्बल से सिर फोड दिया गया, दौलतिया जो एक जिगजैग आकार का औजारकम हथियार होता उससे पीट पीट कर हड्डियां तोड दी गईँ और मरा जान कर छोड दिया गया..

दो से तीन वर्ष पहले गुना मे एक सीए के घर चोरी हुई घर से सामान जेवरात के साथ पैसा तो गया ही सीए और उनकी पत्नि के सर को पेचकस से गोद दिया गया।
मरा जान कर छोडा पर मातृ कृपा से दोनो बच गये, कैसे बचे कितने दिन अस्पताल मे आईसीयू मे रहे ये अलग कहानी।

ये चोरी करने का विशेष तरिका है जो एक खास समुदाय है, जिसे अंग्रेजो ने जरायम पेशा जातियो मे गिना था उनकी पहचान है ।
इनके बच्चे और औरतें तक ऐसी ट्रेंड होते हैं की आप बात करो तो हैरान रह जाओ।
अगर किस्मत से आपको इनके गांवो को देखने का मौका मिले तो हैरान रह जायेंगें
हजारो बीघा सिंचित जमीन, ट्रेक्टर, मशीनरी, बडी बडी हवेली से घर, एसी कूलर, एलईडी, बेहतरीन शराब, खाने पीने की सब सुविधाएं।
हजारो बीघा सिंचित जमीन के मालिक होकर भी चोरी करना नही छोडते ।
किसी बच्चे से पूछो की तेरे पिताजी कहां है ?
तो जवाब मिलेगा "#अधेंरी_खेलने_गये हैं" मतलब बाहर गये चोरी करने यह बाहर अन्य शहर अन्य राज्य कुछ भी हो सकता है।

एक बार सूरत मे हीरा व्यापारी की बेटी की शादी वाले घर मे चोरी हुई दुल्हन जेवरों सहित कमरे मे थी #रधी गिरोह वहां घुसा दुल्हन को मारा उसकी सहेली को मारा, तभी दुल्हन की बहन और मां आ गईं उनको मारा दुल्हन की दादी को मारकर सारे गहने लेकर भाग गये
बाद मे गुना मे वो गहने पकडे गए
हीरे के गहने जिनमें कुछ हीरे तो चने के बराबर थे।
उसमें सबसे भयंकर बात वह थी की सभी जेवरो में जडित हीरो में खून भरा हुआ था जो सूखकर कत्थई काला हो गया था।

इसी समुदाय के एक नामी अपराधी ने गुना शहर से करीबन पांच किमी दूर गुना से बजरंगगड आरोन के रास्ते मे जगनपुर चक पर झोपडपट्टी मे कब्जा करके रहना शुरू करा और अपने साथ अपने कई रिश्तेदारो को बसा लिया, अवैध शराब का काम चलता ही था, पैसा तो था ही
कुछ समय बाद वो उस क्षेत्र का पार्षद बन गया।

उस #रधी पार्षद ने समीपस्थ जंगलात की जमीन पर अवैध कब्जा करके घेरा
वन्य विभाग ने कई बार उसे हटाया पर राजनैतिक संरक्षण पाकर बार बार काबिज हो गया।
इस जमीन पर वह खेती के साथ साथ कच्चीशराब, जुआ, फरार अपराधियो को शरण देने का कार्य करता रहा
अब होती है शुरू मूल बात जिसके लिये इतना बडा खर्रा लिखा गया
इस वर्ष जब वन विभाग और पुलिस विभाग वहां अतिक्रमण हटाने पहुंचा तो सयाणे पार्षद ने अपने दस पांच रिश्तेदारो को बुला कर रोना गाना शुरू करवा कर जहर खाने की नौटंकी करवा दी और उसे मीडीया वालो ने पुलिस प्रशासन का उत्पीडन बना कर पेश कर दिया ।

जबकी हमारा पूरा क्षेत्र का बच्चा बच्चा जानता है की #रधी लोग सामने वाले को मार सकते पर खुद नही मर सकते।
मीडीया पर लोगो की छाती मे यूं दूध उमड़ा की तमामो तमाम रंडीरोना शुरू कर दिया।
पुलिस का अत्याचार, मप्र सरकार का अत्याचार, पीछे बात क्या यह जानने की जरूरत नही समझी।

जबकी इस आदतन अपराधियो की अगर इतिहास टटोला जाये तो इनका हर मर्द पांच से दस हत्यायें कर चुका होता है।

इनकी औरतें और बच्चे अपने अपराधी पुरूषो की ढाल बनने मे शाहिनबाग की पेड खवातिनो की गुरू बन सकती है
जब कभी पुलिस रेड इन गांवो मे पडती थी तो चार पांच माह के बच्चो को छत से पुलिस के रास्ते में फेंक देने के किस्से सैकडो हैं इनमे।

जिन जिनको शक हो हमारी बात पर वो अपने क्षेत्र की पुलिस से पा#धी गिरोह के बारे मे पूछ ले या हो सके तो गूगल कर ले।
आजकल स्त्री, दलित, अल्पसंख्यक ऐसी चीज है जो हर अपराध की ढाल बनजाते
हमे तो लग रहा की कुछ समय बाद लोग चोरी करने घुसेंगे और उनको रोकने पर अगले दिन की हेड लाइन होगी
दलहित/ शांतिप्रिय/ तबला नारी पर अत्याचार।

किसानी के नाम पर खून की खेती करते है ये वर्ग।

सबसे दुख की बात यह की जिन कलेक्टर और एसपी के नेतृत्व मे पूरे कोरोना काल मे गुना जिला सुरक्षित रहा उनको पुरूस्कृत करना तो दूर इस फर्जी केस के कारन तबादला कर दिया गया। नीचे एक चित्र मे सो कॉल्ड दलितों की कारगुजारी और एक मे फेक प्रपोगेंडा है..