Anoop Gupta's Album: Wall Photos

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*18 दिन के युद्ध ने, द्रोपदी की उम्र को 80 वर्ष जैसा कर दिया था...।*

*शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी,*

*शहर में चारों तरफ़ विधवाओं का बाहुल्य था..*

*पुरुष इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ता था*

*अनाथ बच्चे घूमते दिखाई पड़ते थे और उन सबकी वह महारानी*
*द्रौपदी हस्तिनापुर के महल में,*
*निश्चेष्ट बैठी हुई शून्य को निहार रही थी ।*

*तभी,*

*श्रीकृष्ण*
*कक्ष में दाखिल होते हैं!*

*द्रौपदी*
*कृष्ण को देखते ही दौड़कर उनसे लिपट जाती है ...॥*
*कृष्ण उसके सिर को सहलाते रहते हैं और रोने देते हैं,*

*थोड़ी देर में,*
*उसे खुद से अलग करके समीप के पलंग पर बैठा देते हैं ।*

*द्रोपदी* : *यह क्या हो गया सखा ??*

*ऐसा तो मैंने नहीं सोचा था ।*

*कृष्ण* : *नियति बहुत क्रूर होती है पांचाली..*
*वह हमारे सोचने के अनुरूप नहीं चलती !*

*वह हमारे कर्मों को परिणामों में बदल देती है..*

*तुम प्रतिशोध लेना चाहती थी और, तुम सफल हुई, द्रौपदी !*

*तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हुआ... सिर्फ दुर्योधन और दुशासन ही नहीं, सारे कौरव समाप्त हो गए*

*तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए !*

*द्रोपदी*: *सखा, तुम मेरे घावों को सहलाने आए हो या उन पर नमक छिड़कने के लिए ?*

*कृष्ण* : *नहीं द्रौपदी, मैं तो तुम्हें वास्तविकता से अवगत कराने के लिए आया हूँ*
*हमारे कर्मों के परिणाम को*
*हम, दूर तक नहीं देख पाते हैं और जब वे समक्ष होते हैं..*
*तो, हमारे हाथ में कुछ नहीं रहता।*

*द्रोपदी* : *तो क्या, इस युद्ध के लिए पूर्ण रूप से मैं ही उत्तरदायी हूँ कृष्ण ?*

*कृष्ण* : *नहीं, द्रौपदी तुम स्वयं को इतना महत्वपूर्ण मत समझो...*

*लेकिन,*

*तुम अपने कर्मों में थोड़ी सी दूरदर्शिता रखती तो, स्वयं इतना कष्ट कभी नहीं पाती।*

*द्रोपदी* : *मैं क्या कर सकती थी कृष्ण ?*

*तुम बहुत कुछ कर सकती थी*

*कृष्ण*:- *जब तुम्हारा स्वयंवर हुआ...*
*तब तुम कर्ण को अपमानित नहीं करती और उसे प्रतियोगिता में भाग लेने का एक अवसर देती*
*तो, शायद परिणाम कुछ और होते !*

*इसके बाद जब कुंती ने तुम्हें पाँच पतियों की पत्नी बनने का आदेश दिया...*
*तब तुम उसे स्वीकार नहीं करती तो भी, परिणाम कुछ और होते ।*

*और*

*उसके बाद तुमने अपने महल में दुर्योधन को अपमानित किया...*
*कि अंधों के पुत्र अंधे होते हैं।*

*वह नहीं कहती तो, तुम्हारा चीर हरण नहीं होता...*

*तब भी शायद, परिस्थितियाँ कुछ और होती ।*

*हमारे शब्द भी हमारे कर्म होते है द्रोपदी...*

*और, हमें*

*अपने हर शब्द को बोलने से पहले तोलना बहुत ज़रूरी होता है... अन्यथा,*
*उसके दुष्परिणाम सिर्फ़ स्वयं को ही नहीं... अपने पूरे परिवेश को दुखी करते रहते हैं ।*

*संसार में केवल मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है... जिसका*
*"ज़हर" उसके "दाँतों" में नहीं, "शब्दों " में होता है...*

*इसलिए शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करें।*

*ऐसे शब्द का प्रयोग कीजिये जिससे,*
*किसी की भावना को ठेस ना पहुँचे।*