इस देश में नेहरू के बाद अगर सबसे अधिक किसी ने अपनी क्षुद्र राजनीति के लिए देश में आग लगाया तो वह विश्वनाथन प्रताप सिंह थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते इन्हें इंदिरा गांधी के सुपुत्र संजय गांधी का जूता उठाने तक में शर्म महसूस नहीं हुई। इसी तरह की राजनीति करते-करते ये राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में वित्त मंत्री बने। इनके हाथ में बोफोर्स घोटाला का सबूत हाथ लगा। फिर, ये सौदेबाज़ी करने लगे और कांग्रेस छोड़कर जनता दल का गठन कर लिया। तब नारा दिया था-राजा नहीं, फकीर है। देश की तकदीर है। चुनाव में हरियाणा से देवीलाल ने खूब मदद की और ये प्रधानमंत्री बन बैठे।
चुनावी सभाओं में इनके पास बोफोर्स घोटाले के सबूत हुआ करते थे,लेकिन पूरे कार्यकाल में वह सबूत नहीं निकला। फंसाने के लिए एक द्वीप में फर्जी खाते भी खुलवाया। काफी फजीहत हुई थी। यहां तो नियत में ही खोट था।
सत्तारूढ़ होने के कुछ दिनों बाद ही देवीलाल के साथ खटपट हो गया। जब लगा कि सत्ता में नहीं रह सकते तो देश को आरक्षण की आग में झोंक दिया। तब राजीव गोस्वामी ने इसके विरोध में आत्महत्या की थी।
वोट के लिए जामा मस्जिद के इमाम को राजनीति में पहली बार इन्होंने ही इस्तेमाल किया। मुस्लिम समुदाय के वोट के लिए इमाम का उपयोग, इनसे पहले किसी ने नहीं किया था। उससे पहले दिल्ली के जामा मस्जिद के इमाम की हैसियत कुछ भी नहीं थी। सरकार से साढ़े चा सो रुपये मिलते थे। अगल-बगल के लोग भी ज्यादा नोटिस नहीं करते थे। राजनीतिक मंचों पर वीपी सिंह के साथ आते ही सबकुछ बदल गया।
वीपी सिंह ने आरक्षण के मुद्दे पर देश में आग लगा दी।पूरे देश पर इसका असर पड़ा,लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश सबसे अधिक पीड़ित हुआ। यूपी में मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह जैसे लोग आए तो बिहार में लालू प्रसाद यादव बाद में नीतीश कुमार। इसी समय इन दोनों राज्यों में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का राजनीति में प्रवेश हुआ। ऐसे लोग पहले नेताओं के लिए बूथ लूटने का काम करते थे। इन लोगों ने देखा कि हमारी मेहनत का ये लाभ उठाते हैं और पुलिस हमारे पीछे। फिर, इन सबने राजनीति में सीधे एंट्री मारी। उत्तर प्रदेश तो कुछ हद तक सुधर गया। मौलाना मुलायम और उनके टोंटी चोर पुतर से छुटकारा मिल गया। बिहार से लालू प्रसाद का राज गया। उनके बाद नीतीश कुमार आए। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री बनने के चक्कर में लालू प्रसाद यादव की मृत पार्टी को जिंदा करवा दिया।बिहार अब तकभुगत रहा है।
आरक्षण ने इस देश को बर्बाद कर दिया और इसकी एकमात्र वजह वीपी सिंह रहे।
नियत सही होती तो आरक्षण की जगह जरूरतमंद व्यक्ति को सरकार की ओर से सब तरह की सहायता दिलाते,जिससे कि वो आत्मनिर्भर हो जाते और दूसरों के लिए एक नजीर पेश करते।
बिडंबना देखिए कि आज किसी ने भूले से भी आरक्षण के तथाकथित मसीहा वीपी सिंह को याद नहीं किया।