Anoop Gupta's Album: Wall Photos

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" आरक्षण का विश्वासघात "

विश्वनाथ प्रताप सिंह के सलाहकारों ने उन्हें सलाह दी थी कि मंडल लागू करने और प्रमोशन में आरक्षण लागू करने से वह अंबेडकर से बड़े नेता बन जाएंगे । गांधी के समकक्ष बन जाएंगे । अंबेडकर से ज्यादा मूर्तियां उन की लग जाएंगी । नतीज़ा यह निकला कि वह गांधी , अंबेडकर के तो नाखून भी नहीं छू पाए उलटे धोबी के कुत्ते बन गए । न घर के रह गए , न घाट के । देश में आग लगा दी सो अलग । हां , भारतीय राजनीति में लालू , मुलायम , मायावती जैसे अराजक , जातिवादी , मनबढ़ और भ्रष्टतम लोगों के दाग परोस कर इन की खेती ज़रुर हरी भरी कर गए ।

यह वही विश्वनाथ प्रताप सिंह थे जिन्हों ने बतौर मुख्य मंत्री , उत्तर प्रदेश फ़ाइल पर लिखा था कि अगर मंडल प्रस्ताव लागू किया गया तो देश में आग लग जाएगी । लेकिन बोफोर्स के नाम पर धूर्तई गांठ कर प्रधान मंत्री बनते ही देवीलाल की राजनीति को पलीता लगाने के लिए वह मंडल लागू कर देश में ही पलीता लगा बैठे । कमंडल की राजनीति को हवा दे बैठे अपने मंडल को मजबूत करने के लिए । लेकिन इस मंडल और कमंडल की राजनीति ने देश का कितना नुकसान किया , देश को कितना पीछे कर दिया , समाज में कितना विष घोल दिया यह सब हमारे सामने है ।

अब कुछ मुट्ठी भर लोग ही अब विश्वनाथ प्रताप सिंह का नाम लेते देखे जा सकते हैं । अधिकांश लोग उन्हें भारतीय राजनीति का खलनायक और कलंक मानते हैं । और कि वह हैं भी । बोफोर्स के नाम पर उन्हों ने कांग्रेस और राजीव गांधी की पीठ में छुरा घोंपा तो मंडल के नाम पर देश की पीठ में छुरा घोंपा । कुल मिला कर सुदर्शन की मशहूर कहानी बाबा भारती की जीत का डाकू खड़क सिंह बन कर रह गए हैं विश्वनाथ प्रताप सिंह । धोखा दे कर अपना स्वार्थ साधने वाला व्यक्ति । खड़क सिंह तो फिर भी अपनी गलती सुधार कर अपना चेहरा साफ कर गया । बाबा भारती के अस्तबल में घोड़ा वापस बांध कर । लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह ? आज भी कलंक और धोखेबाज बन कर भारतीय समाज में उपस्थित हैं । लोगों की गालियां सुनते हुए , लोगों की आह लेते हुए ।

साभार : श्री दयानंद पांडेय जी
प्रकाशनार्थ : मार्तण्ड प्रेस रीवाँ