DEVENDRA SINGH BAIS's Album: Wall Photos

Photo 1 of 192 in Wall Photos

याद रखें! ये इतिहास पुराना नहीं

____________________________________________

हर दिन लोहे के मोटे चिमटे गर्म कर मांस नोंचने की प्रताड़ना को सहते हुए भी अपने धर्म पर अडिग रहने वाले महान योद्धा वीर बंदा वैरागी ने इस्लाम नहीं अपनाया...

हर सुबह ऐसे ही होती थी कि, उनको और उनके साथियों को इस्लाम स्वीकार करने को कहा जाता था,, मना करने पर उनके साथियों की गर्दन काट दी जाती थीं और वीर बंदा वैरागी का मांस नोचा जाता था..

सारी क्रूरता पार करके..
एक दिन जिहादियों ने बंदा वैरागी के पाँच वर्षीय पुत्र अजय को उनकी गोद में लेटाकर बन्दा के हाथ में छुरा देकर उस अबोध बालक को मारने को कहा। वीर बन्दा वैरागी ने ऐसा करने से मना कर दिया।

लेकिन तभी जेहादियों की तलवार ने बड़ी ही निर्ममता से उस बच्चे के टुकड़े कर दिए,, उस छोटे से बालक को चीरकर उसके दिल का माँस जंजीरों मे जकडे वीर बंदा वैरागी के मुँह में जबरदस्ती ठूँस दिया...

कल्पना करके भी आज आत्मा कांप उठती है कि,, कितना भीषण दृश्य रहा होगा, एक पिता के मुंह में उसके छोटे से पुत्र का हृदय निकालकर मुंह में ठूस दिया गया था..

किन्तु फिर भी इस्लाम को नहीं अपनाया ,, योद्धाओं ने हमारे सनातन धर्म की रक्षा के लिए कितना बलिदान दिया, देश और धर्म के लिए हर प्रकार की प्रताड़ना सहन की और बलिदान हो गए...

नकली इतिहासकार यदि इनकी चर्चा करते तो खतरे में पड़ जाता उनका सेक्युलरिज्म,, इनके बारे में बताते तो उनके आका नाराज हो जाते जिनकी चाटुकारिता के उन्हें पैसे मिलते थे ..

यदि इनकी वीरगाथा हर सनातन धर्मी को पता चल जाती तो न लव जिहाद होता, और न ही धर्मांतरण .. और ये सब यदि नहीं हो सकता तो, भारत को भविष्य में इस्लामिक राष्ट्र बनाने का इनका सपना कैसे पूरा हो सकता..

इसीलिए भारत के इतिहास को विकृत करने वाले चाटुकार इतिहासकारो के किये पाप का नतीजा है कि धर्म के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बंदा बैरागी का आज बलिदान दिवस है जिसे बहुत कम भारतीय जानते हैं...

उस एक योद्धा बंदा वैरागी को हर तरह की यातनाएं दी गईं... गरम चिमटों से माँस नोचे जाने के कारण उनके शरीर में केवल हड्डियाँ शेष थी। किंतु फिर भी, जब उनके सामने इस्लाम कुबूल करने को कहा जाता,, तब भी उनके मुख से "ना" शब्द ही निकलता था

आज ही के दिन अर्थात 9 जून, 1716 को उस वीर को आखिरी बार पिंजरे से बाहर लाया गया, और एक बार फिर इस्लाम अपनाने को कहा गया,, किन्तु उनका वही उत्तर था, "ना"
थोड़ी देर में उन्हें हाथी से कुचलवा दिया गया।

और इतिहास का ऐसा पराक्रमी योद्धा जिसका नाम सुनने मात्र से जिहादी भयभीत हो भाग उठते थे... जिधर उस योद्धा की तलवार मुड़ी उधर ही मुग़ल जिहादियों का सर्वनाश हो जाता था,, ऐसे लक्ष्मणदास से बंदा वैरागी बने महान योद्धा को इस भारतवर्ष ने अपने ही गद्दारो के कारण खो दिया...

किन्तु दुर्भाग्य है कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में ऐसे महान योद्धाओं की वीरता को पढ़ाने के स्थान पर, बाबर और अकबर जैसे जिहादियों और अरबी टट्टुओं की कहानियाँ पढ़ाई जाती हैं...

टीपू सुल्तान जैसे दरिंदे को नायक बनाकर इतिहास में पढाया गया, जिस पर एक डरपोक खान फिल्म बना कर रीलिज करने वाला है ताकि सनातन धर्म के बच्चों के मन में अच्छी तरह इस्लामिक शासकों का महिमामंडन व साफ छवि बना कर लव जेहाद को ओर गति दी जा सके..

जिस दिन भारतवर्ष के सनातन धर्मी बच्चे वीर बंदा बैरागी जैसे बलिदानी योद्धाओं के चरित्र को पढ़ने और जानने लगेंगे,, निश्चित ही उस दिन से जिहादियों के सारे षड्यंत्र असफल होंगे...