.थी खून से लथ-पथ काया फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त-समय आया तो कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो क़ुरबानी...