आज 90% सनातनियों को शिव तांडव स्रोत कंठस्थ नहीं होगा लेकिन हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले शिवतांडव के सम्पूर्ण कलाओं को पत्थरों पर उकेर दिया था ।
900 साल पहले बने इस मंदिर की भीतरी छत की एक नक्काशी को देखिए । इस पर शिवतांडव के स्वरूपों की अद्भुत नक्काशियों को देखकर इसे प्राचीन मानने से इनकार लर देंगे । आश्चर्यजनक बात है कि इस मंदिर के पत्थरों को पानी में रखने पर तैर जाते हैं ।