Gyan singh Rajput's Album: Wall Photos

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#साइंस_और_आर्ट_बराबर_क्यों_नहीं
#आर्ट_के_बच्चों_के_साथ_भेदभाव_क्यों
#विषय_अपनी_रूचि_के_अनुसार_चुने_न_कि_दूसरो_के_हिसाब_से

कितना अजीब है ना कुछ लोग इन चारों विषय को क्रम में बांट दिया गया है कुछ टीचरों ने जो भी कहों यह सोच बहुत गलत है क्योंकी 10वीं के बाद पढ़ाई कें चारों विषय बराबर हैं इनमें कोई छोटा या बड़ा नही है यह तो अलग-अलग क्षेत्र का विषय है जिसकों जिसमें रूचि है वह वो क्षेत्र चुने लेकिन न जाने क्यों लोगों ने इसमें में भी भेदभाव करना शुरू कर दिया है यहा तक की मैंने देखा है की कुछ टीचरों का तो यह मानना है की आर्ट वाले बच्चे अच्छी तरक्की नही कर सकतें है क्यों सांइस ज्यादा तरक्की का साधन है नही ऐसा बिलकुल नही है क्योंकी मैंने देखा है की कई बार साइंस के छात्र से ज्यादा आर्ट के छात्र सफल होते है फिर इस तरह की सोच आखिर क्यों है हमारे देश में क्यों कई टीचर आर्ट के छात्रों को कम योग्य समझते हैं क्या यह सोच कभी मिटेगी मैनें देखा की एक छात्र जिसका 10वीं में 70,80 प्रतिशत आया था वह आर्ट विषय चुन रहा था मैनें उससे बोला की तुम इतने अच्छे प्रतिशत के आने के बाद भी आर्ट चुन रहे हो क्यों वही पास उसके माता पिता खड़े थे उन्होने मुझसे कहा की बेटा कोई भी विषय छोटा या बड़ा नही होता छोटा सिर्फ हमारी सोच हमारी बेटे को कला में रूचि है इसलिये वह आर्ट विषय लेगा तभी मैंने सोचा की यह तो सिर्फ हमारी सोच का परिणाम है जो हमने इन विषयो को क्रम में बांट दिया है वरना कोई भी विषय बेकार नही है नही ऐसा है की आर्ट वाले तरक्की नही कर सकतें या कम योग्यता वाले छात्र ही आर्ट लेते हैं जिसकों जिसमें रूचि हो वह क्षेत्र चुने अब बात की यह की लोग जो जिनकी सोच इस प्रकार की है वह कब इस तरह की सोच हटायेंगे क्योंकी इस तरह की सोच का निकला हमारे देश के विकास के लिये जरूरी है क्योंकी इस तरह की सोच मैंने बहुत से लोग या फिर कहें तो टीचरों में देखी है इसमें टीचर भी शामिल है जो किसी छात्र को उसके विषय के आधार पर योग्य या अयोग्य घोषित कर देते हैं मैं यह सब बातें इसलिये लिख रहा हुँ कि हमारें बीच इस तरह की सोच मिट सकें
मैंने तो कई बार देखा है की सांइस वाले छात्र आर्ट वाले छात्रों को छोटी नजर से देखते हैं क्यों यह बेकार बात है और कई बार तो आर्ट वाले छात्र ज्यादा तरक्की करते है मुझे नही मालूम की बाकी लोग क्या सोचते है मै यह चाहता हूं ये सोच बदलनी चाहिए