14 दिन का इलाज भी मान लें तो अगर जेब में 10-15 लाख हों तभी बड़े अस्पताल में कोरोना का इलाज करवाने जाइएगा। प्लाज़्मा थेरेपी देने का दावा कर भी मज़बूती से बिल बनाया जा रहा है। निजी अस्पताल अब बेलगाम हो गए हैं। ईश्वर कोरोना ग़रीबों को ना ही दे तो बेहतर।