बालकिशन जी ने जैसे ही कहा कि पतंजलि ने आयुर्वेदिक औषधियों से चीनी कोविड19 को ठीक करने का ट्रायल सफलता से कर लिया है।
ना जाने क्यों अनेक कांग्रेसी और वामपंथी दुर्जन भड़क गए हैं।
कभी वो बालकिशन जी के नागरिकता पर प्रश्न उठा रहे है कभी कम्युनिस्ट नेपाली-चीन गठजोड़ के आधार पर विरोध करने का उपक्रम कर रहे है।
पतंजलि जैसा ही दावा विश्व के अनेकाअनेक एलोपैथिक दवा बनाने वालों ने भी किया पर अभी तक किसी की सफलता प्रामाणिक नहीं है।
फिर यह सारी घृणा केवल आयुर्वेद, पतंजलि और बालकिशन जी के लिए क्यो प्रदर्शित हो रहे है?
क्या यह हिन्दू और भारत से जलन का नतीजा है?
आखिर यह बौने चाहते क्या है?
अगर भारत में कुछ अच्छे से अच्छा हो गया फिर भी यह बौने भारत की हीनता की कामना में रहेंगे।