Praveen Prasad's Album: Wall Photos

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#बाॅलीवुड का इस्लामीकरण तो 1997 में अंडरवर्लड माफिया दाउद द्वारा गुलशन कुमार की दिन-दहाड़े वीभत्स हत्या के साथ शुरू हो गया था।

इसके बाद फिल्मों से आरती व देवी के गानें आदि विलुप्त हो गए, गानों से राम व कृष्ण शब्द मिट गए!

उनका स्थान उर्दू/अरबी संस्कृति से ओत-प्रोत गानों ने ले लिया। गानों में अल्लाह व खुदा के शब्दों को प्रचुरता हो गई।

गुलशन कुमार की हत्या पर लोगों के मध्य यह संदेश गया कि फ़िल्म जगत में झगड़ा बहुत बढ़ गया है, जो Sun Tzu के विचार की पुष्टि होती है कि - "सबसे बड़ी जीत वह होती है, जो बिना लड़े मिल जाय।"

वे लड़ भी रहे है और जीत भी रहे है और हम सोच रहे है कि फ़िल्म जगत में झगड़ा बहुत बढ़ गया, डॉक्टर नारंग सड़क दुर्घटना में मारे गए, अंकित सक्सैना की हत्या प्रेम प्रसंग में हो गयी।

यह उनकी असली ताक़त है कि उनका शिकार कभी जान ही नहीं पाता कि लड़ाई चल भी रही है।

बचपन में कहानियों में सुनते थे कि राजा एक दूसरे की हत्या के लिए विष कन्या भेजते थे। राजा आकर्षण में फंसता व विष कन्या उसका काम-तमाम कर देती थी।

दुनिया की सबसे बड़ी विषकन्या तो वहाबी विचारधारा है, जो मदरसों में पोषित होती है। काफ़िर सम्मोहन में फंसते है व गर्दन गंवा देते है, और पड़ोसी काफ़िर कहता है कि शहर में अपराध बहुत बढ़ गया है।

दाऊद इब्राहिम ने गुलशन कुमार को कूर्रता और निर्दयता से मरवाया था। खून से लथपथ गुलशन कुमार जब एक ह्यूम पाईप के पीछे छुप गये, तो फोन पर पाकिस्तान में बैठ कर हर लम्हे की दिशानिर्देश करता हुआ दाऊद इब्राहिम ने अपनी हिट टीम को आदेश दिया कि उसको वहां से घसीट के बाहर निकाल के तड़पा-तड़पा के मारे, और उसकी चीखों की आवाज उसके फोन पर सुनाई जाए और उन्होंने ऐसा किया भी।

अगर मारना ही था, तो गुलशन कुमार को साधारण तरीके से भी मारा जा सकता था। इतने वहशी तरीके से मारने की क्या जरूरत थी?

भोले बाबा के भक्त गुलशन कुमार की भोले बाबा के भक्तों ने कोई मदद नहीं की। हिन्दुओं का भगवान, अल्लाह के सामने बहुत कमजोर हो जाता है। अल्ला के बन्दे को गुलशन कुमार को केवल मारना ही नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से एक संदेश भी ईश्वर के भक्तों के मध्य देना था।

माफिया गैंग ने उस नृशंस हत्या के द्वारा एक तीर से कैई शिकार किए। जिसका परिणाम हिन्दू धर्म से सम्बंधित चित्रण फिल्मों से गायब हो गया और इसके साथ-साथ माफियाओं को बालीवुड में ईश्वर के भक्तों से जीवित व बने रहने का जजिया-कर मिलना सुलभ व सुनिश्चित हो गया।

माफिया या उनसे सम्बंधित कलाकारों की चाँदी हो गई, उनको फिल्मों में बढ़ावा के साथ फिल्मी-बिजनेस क्षेत्र के विवादो के निपटारे के लिए लोग कोर्ट के बदले माफियाओं से वाद सुलझाने के लिए सम्पर्क करने लगें।

मुगलकाल में, हिन्दुओं को जीवित रहने का कर (जजिया कर) देना पड़ता था। इसके साथ-साथ नीचा बनकर, मुगलों की प्रशंसा करके और अपमानित होकर अपने मुख में थूकवाना तक पड़ता था, जिसको धिम्मीपन कहते हैं, जो आज भी हमारे खून में कम-ज्यादा विध्यमान चला आ रहा है और जिसके कारण हम आज भी धिम्मी जैसा व्यवहार करने लगते हैं।

रितिक रोशन एक उभरता सितारा था, खान-वुड में वह हिन्दू एक्टर की तरह स्थापित हो रहा था। उसने पहला विवाह भी एक मुस्लिम कन्या से किया था। फिर क्या हुआ? उससे जोधा अकबर करवाई गई। यानि उसका बधियाकरण कर दिया गया। रणबीर सिंह, अल्लाउद्दीन बन गया। कपूर फैमिली ने उधर अपनी लड़की देकर धंधा बचा रखा है। ज्यादातर उभरते लोगों का ऐसे ही बधियाकरण किया जाता है।

सनातनी अमित यादव