Praveen Prasad's Album: Wall Photos

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डॉक्टर अब सिर्फ बीमारियों का इलाज ही नहीं कर रहे,बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर भी बना रहे हैं। देश के कुछ ऐसे डॉक्टर्स भी हैं जो समाज को स्वस्थ बनाने के साथ बदलाव भी ला रहे हैं। वर्ल्ड डॉक्टर्स डे है। भारत के मशहूर चिकित्सक डॉ. बिधान चन्द्र रॉय को श्रद्धांजलि देने के लिए एक जुलाई को डॉक्टर्सडे मनाया जाता है। इस मौके पर जानिए देश के 5 ऐसे डॉक्टर जो वाकई धरती पर भगवान का रूप साबित हो रहे हैं...

डॉ. योगी ऐरन: आग में झुलसे और जानवरों का शिकार हुए लोगों को जीवन समर्पित

देहरादून के डॉ. योगी ऐरन एक प्लास्टिक सर्जन हैं और उम्र 80 साल है। डॉ. योगी का पूरा जीवन ऐेसे लोगों के लिए समर्पित रहा जो आग में झुलस चुके हैं या जंगली जानवर का शिकार बन चुके हैं। ऐसे लोगों को बचाने के लिए वह सालभर में करीब 500 से अधिक मुफ्त सर्जरी करते हैं। इस मिशन में उनका एक असिस्टेंट भी करीब 25 सालों से उनके साथ काम कर रहा है। उनका बेटा भी इस काम में मदद करता है। क्लीनिक चलाने के अलावा डॉ. योगी अलग-अलग गांवों में जाकर साल में कई बार 15-15 दिन का कैंप लगाकर सर्जरी करते हैं। कैंप के लिए वे करीब 15 डॉक्टरों की टीम अमेरिका से भी बुलाते हैं और फ्री इलाज करते हैं। कैंप के लिए ऐसे गांवों को चुनते हैं जहां आमतौर पर कोई सुविधाएं नहीं पहुंच पातीं। हिमालय के पिछड़े गांवों में करीब 10 हजार लोग अभी भी इलाज के लिए वेटिंग में हैं। कैंप के दौरान डॉक्टरों के साथ मिलकर करीब 10 सर्जरी रोजाना की जाती हैं। इसके अलावा डॉ. योगी साइंस पार्क का भी निर्माण करा रहे हैं।

डॉ. अभिजीत सोनवाणे : भिखारियों का इलाज करते-करते उन्हें आत्मनिर्भर बनाया

डॉ. अभिजीत सोनवाणे अक्सर पुणे में सड़क किनारे बैठे गरीब लोगों से उनका हाल पूछते देखे जाते हैं। 4 साल पहले इस्तीफा देकर उन्होंने सोहम ट्रस्ट की शुरुआत की। लक्ष्य था- गरीबों का मुफ्त इलाज करना। डॉ. अभिजीत के मुताबिक, इलाज की शुरुआत ऐसे लोगों से की जो सड़क किनारे रहते हैं और भीख मांगते हैं। उनकी मदद करना मेरे लिए कोई अभियान नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी है, जो मैं निभा रहा हूं। वह बताते हैं कि शुरुआत लोगों के इलाज से हुई, लेकिन बाद में इन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कोशिश की। इस पहल का नाम रखा 'बैगर टू आंत्रप्रेन्योर'। इसके तहत भिखारियों को पैसे कमाकर सम्मान से साथ जीना सिखाया गया। डॉ. अभिजीत ने उन्हें नाई की दुकान खोलने, मंदिर के बाहर फूल बेचने, दीया बनाने जैसे काम शुरू करने में मदद की। उनकी पहल का नतीजा है कि कभी भीख मांगने वाले 37 लोग अब पैसे कमा रहे हैं।

डॉ. मनोज दुरईराज : 350 से अधिक फ्री हार्ट सर्जरी की

डॉ. मनोज दुरईराज कार्डियक सर्जन हैं और पुणे में इनका क्लीनिक हैं। वह मेरियन कार्डियक सेंटर और रिसर्च फाउंडेशन चला रहे हैं। इसकी शुरुआत मनोज के पिता डॉ. मैनुअल दुरईराज ने की थी। वे भी कार्डियोलॉजिस्ट थे। उन्होंने 2 दशक तक भारतीय आर्मी और तीन पूर्व राष्ट्रपतियों की देखभाल की। 1991 में डॉ. मनोज ने मेरियन कार्डियक सेंटर और रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े और 2005 में दिल्ली एम्स से पढ़ाई पूरी के बाद पिता की विरासत को आगे बढ़ाया। डॉ. मनोज अब तक 350 से अधिक मुफ्त हार्ट सर्जरी कर चुके हैं इनमें ज्यादातर बच्चे शामिल हैं। ये लोगों को जन्मजात दिल की बीमारी थी। डॉ. मनोज का कहना है पिता ऐसे लोगों की मदद करते थे जिनके पास इलाज के लिए पैसा नहीं था। ये लोग दूर-दराज इलाकों से आते थे। उनकी इस बात ने मुझे प्रेरित किया। डॉ. मनोज आसपास के क्षेत्रों में जाकर उन लोगों का इलाज करते हैं, जिनके पास महाराष्ट्र का बीपीएल कार्ड नहीं है। कार्डियक सेंटर में सिर्फ सर्जरी ही नहीं ऑपरेशन के बाद फ्री दवाइयों और देखरेख का भी ध्यान दिया जाता है।

डॉ. मनोज कुमार : केरल के 25 केंद्रों में कर रहे मानसिक रोगों का इलाज

ब्रिटेन में 15 साल काम कर केरल लौटे मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों का मुफ्त इलाज करना है। केरल के रहने वाले डॉ. मनोज के मुताबिक, सरकार मानसिक रोगियों के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही, इसलिए मैं अपने राज्य के लोगों की मदद कर रहा हूं। डॉ. मनोज ने केरल के कोझिकोड में 2008 में मेंटल हेल्थ एक्शन ट्रस्ट की स्थापना की। उनकी इस पहल में कई विशेषज्ञ और आम लोग भी जुड़े। वर्तमान में ट्रस्ट से करीब 1 हजार वॉलंटियर जुड़े हैं। इनमें होममेकर, रिटायर्ड प्रोफेशनल और ऐसे लोग शामिल हैं जो दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। बीमार होने पर परिजन सबसे इन्हीं वॉलंटियर्स से संपर्क करते हैं। गंभीर स्थिति न होने पर टीम में मौजूद प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स इलाज करते हैं। केरल के मलप्पुरम, वायनाड, कोझिकोड, त्रिशूर, अलेप्पी समेत केरल में ट्रस्ट के 25 सेंटर्स हैं। हर केंद्र की स्थापना गांव में ही की गई है। केंद्रों में प्रशिक्षित साइकोलॉजिस्ट और साइकियाट्रिक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो मरीजों की काउंसलिंग करने के साथ थैरेपी देते हैं। लेकिन दवाएं देने का काम डॉ. मनोज कुमार करते हैं। पेशेंट से दूर या इमरजेंसी की स्थिति में डॉ. मनोज कुमार वॉट्सऐप, स्काइप और गूगल हैंगआउट की मदद से वीडियो कॉलिंग के जरिए जुड़ते हैं। उनकी स्थिति जानने के बाद थैरेपी या दवाओं के केंद्र के लोगों को निर्देश देते हैं।

डॉ. किरण मार्टिन : 60 स्लम कॉलोनियों में 5 लाख लोगों की सेहत संवार रहीं

डॉ. किरण मार्टिन बाल रोग विशेषज्ञ हैं। दिल्ली की 60 स्लम कॉलोनियों के 5 लाख लोगों को सेवाएं दे रही हैं। इसकी शुरुआत 1988 में हुई थी, जब वह पहली बार दक्षिण दिल्ली के स्लम एरिया में कॉलरा फैलने के बाद पहुंचीं थी। यहां के लोगों की मदद करने के लिए उन्होंने पेड़ के नीचे कुर्सी-मेज रखकर क्लीनिक शुरू किया। आशा नाम का एक संगठन बनाया और महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर बनाया। #डॉक्टर्सडे