Praveen Prasad's Album: Wall Photos

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ऑस्ट्रेलिया में डेनियल नाम का एक आदमी भारत की देसी खटिया ९९० ऑस्ट्रेलियन डॉलर ( हमारे ६२ हजार रुपए) में बेच रहा है और हम है कि इसे आउट ओफ फॅशन मान कर इसकी खटिया खडी कर रहे हैं । इसके फायदे फॅशन के आगे बौने बन गए हैं ।

सोने के लिए खटिया हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है । हमारे पूर्वजों को क्या लकडी को चीरना नही आता होगा? वो भी लकडी चीरके उसकी पट्टीयां बना कर डबल बॅड बना सकते थे । डबल बॅड बनाना कोइ रोकेट सायंस नही है । लकडी की पट्टीयों को किलें ही ठोकनी होती है । खटिया भी भले कोइ सायन्स नही हो लेकिन एक समजदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके । खटिया बनाना एक कला है उसे रस्सी से बूनना पडता है और उस में दिमाग लगता है ।

जब हम सोते हैं तब माथा और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है क्योंकि रात हो या दोपरहर हो लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते थे । पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है । इसलिए सोते समय खटिया की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है ।

दुनिया में जीतनी भी आरामकुुर्सियां देख लो उसमें भी खटिया की तरह जोली बनाई जाती है । बच्चों का पूराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था, लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड दिया है । खटिया पर सोने से कमर का दर्द और सांधे का दर्द नही होता है ।

डबलबॅड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोगके किटाणु पनपते है, वजन में भारी होता है तो रोज रोज सफाई नही हो सकती । खटिया को रोज सुबह खडा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सुरज की धुप बहुत बढिया किटनाशक है, खटिए को धुप में रखने से खटमल इत्यादी भी नही पडते हैं ।

किसानो के लिए खटिया बनाना बहुत सस्ता पडता है, मिस्त्री को थोडी मजरूरी ही देनी पडती है । कपास खूद का होता है तो खूद रस्सी बना लेते हैं और खटिया खूद बून लेते हैं । लकडी भी अपनी ही दे देते हैं । अन्य को लेना हो तो दो हजार से अधिक खर्च नही हो सकता । हां, कपास की रस्सी के बदले नारियल की रस्सी से काम चलाना पडेगा है । आज की तारीख में कापूस की रस्सी मेहंगी पडेगी । सस्ते प्लास्टिक की रस्सी और पट्टी आ गयी है लेकिन वो सही नही है, असली मजा नही आएगा । दो हजार की खटिया के बदले हजारों रूपए की दवा और डॉक्टर का खर्च बचाया जा सकता है ।