हिन्दी अनुवाद -
वास्तव में सम्पूर्ण कर्म सब प्रकार से प्रकृति के गुणों द्वारा किए जाते हैं, तो भी जिसका अन्तःकरण अहंकार से मोहित हो रहा है, ऐसा अज्ञानी 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मानता है |
व्याख्या-
आरम्भ से पूर्ति पर्यन्त कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं फिर भी अहंकार से विशेष मूढ़ व्यक्ति 'मैं कर्ता हूँ'- ऐसा मान लेता है | यह कैसे माना जाए कि आराधना प्रकृति के गुणों द्वारा होती है? ऐसा किसने देखा? अगले सत्र में मित्रों |