अशोक गहलोत और वसुंधरा की जो खिचड़ी आपस में पक रही है, इससे शायद ही कोई अनभिज्ञ हो।
लेकिन सर्वप्रथम मै अभिनन्दन करूंगा उन नेताओ का जिन्होने एक गुर्जर के सम्मान और स्वाभिमान के लिए अपनी राजनीतिक भविष्य को दाव पर लगा दिया। गहलोत साहब का ये ऑडियो वीडियो खेल कोई नया नहीं है,इस खेल के ये पुराने उस्ताद है और इस खेल में इनकी राजनीतिक सपोर्टर मेडम वसुंधरा जी का भी इनको पूरा सपोर्ट कहीं ना कहीं मिलता ही है, जनता अब सब जानती है राजनीतिक खिलाड़ियों।
कैसे एक ब्राह्मण नेता श्रीमान भवर लाल जी को फंसाकर स्वाभिमानी नेताओ को डराया जा रहा है और वसुंधरा के समकक्ष एक राजपूत नेता गजेन्द्र सिंह जी को घसीटा जा रहा है, गहलोत और वसुंधरा जी की राजनीतिक बिसात में ये अपने राजनीतिक भविष्य के खतरे को अपमानित करके, राजद्रोह का झूठा आरोप लगाकर,फर्जी ऑडियो क्लप वायरल करके,पार्टी से निलंबित करके कैसे भी करके हटा रहे हैं। आरोप लगाओ!
वाहवाही लूटो!
पर्दा डाल दो!
आपस में बाँट लो!
यही तो खेल है आप दोनों का.
आशोक गहलोत ने आज तक सिर्फ दो काम किये है....
1. वसुंधरा राजे का बंगला खाली होने से बचाया
2.खुद की सरकार बचाने के पुरजोर प्रयास किये!
लेकिन ये दोनों ये भी याद रखे राजस्थान वीरो की भूमि है, यहां के निवासी तुम दोनों का पत्ता काटने में ज्यादा वक्त नहीं लगाएंगे। और वसुंधरा जी ये गलत फहमी निकाल दीजिए कि अबकी बार आप राज करेगी,मोदीजी के नाम पर मिलने वाले वोटो से आपने 70 प्लस सीट लाई है। बीजेपी हाईकमान अबकी बार किसी अन्य बेदाग चेहरे को सीएम उम्मीदवार घोषित करे इसी मै बीजेपी की भी भलाई रहेगी, नहीं तो अबकी बार राजस्थान एक नया इतिहास रचने को तैयार हैं।
ये परिंदे खुले आसमान के है, पिंजरों में नहीं रहते।
ये 'काफ़िले' सत्य की जीत के है, "शहों" से नहीं डरते।
जय हिन्द
जय वीर तेजाजी महाराज
जय मां भवानी
जय श्री परशुराम जी