जगबीर सिंह's Album: Wall Photos

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5 जुलाई का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण था क्योंकि चीन, पाक व ईरान के गठबन्धन ने पूरी तैयारी की थी भारत पर हमला करने की।
तारीख निश्चित थी, रणनीति के तहत पाक फौज को अटैक करना था कश्मीर पर।
चीनी सैनिक पाक पहुंच चुके थे पाक सेना की मदद के लिये।
लेकिन अबकी बार भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ, सीआईए तथा मोसाद को भी पूरी खबर थी।
सो इधर भी तैयारी पूरी थी।
अतः पांच जुलाई से पहले ही मोदी लद्दाख पहुँच कर सेना को फ्री हैंड करके आ गये।
इससे पहले कि उधर से कुछ ऐक्शन होता, इजराइल ने पांच जुलाई को सुबह सुबह ईरान पर धमाकेधार हमला करके ईरान के उन सब हथियारों को नष्ट कर डाला जो उसके लिये खतरा थे।
उधर, पाक फौजी अफसरों ने कश्मीर पर हमला करने से इन्कार कर दिया क्योंकि भारतीय पनडुब्बियों के बेड़े कराची के नजदीक तक पहुंच कर पाक को सन्देश दे चुकी थीं, जिसका अंदाजा पाक को बिलकुल नहीं था।
मोदी पहले ही महाशक्तियों को विश्वास में ले चुके थे। आनन फानन में चीन ने बातचीत की कोशिश की ।
अबकी बार बातचीत का जिम्मा संभाला अजीत डोभाल ने।
सी जिनपिंग मोदी जी से बात करना चाहते थे लेकिन मोदी ने बात करने से मना कर दिया।
इसलिये चाइना के विदेश मंत्री को मजबूरन डोभाल से बात करनी पड़ी ।
जबकि डोभाल का दर्जा विदेश मन्त्री से नीचे का है लेकिन चीन को अपमान का यह घूंट पीने को विवश होना पड़ा ।
डोभाल ने चाइना के विदेश मन्त्री को पांच जुलाई का चीन, ईरान व पाक की साजिश का काला ब्ल्यू प्रिन्ट पेश कर दिया, जिससे चीन झेंपकर "हिन्दी चीनी भाई भाई" की बात पर आ गया और सेना लौटाने पर राजी भी, भविष्य में हरकत ना करने का वादा भी किया।
*अब पाकिस्तान के फौजी अफसर चीन से इसलिये नाराज हैं कि पाक को अकेला छोड़कर चीन वापिस जा रहा है।
इधर, भारत का कुछ विपक्षी नेता इसलिए नाराज हैं कि चीन ने तनाव कम क्यों किया, युद्ध क्यों नहीं किया ? कुछ मूर्ख ये बात भूल गए हैं कि अगर युद्ध हुआ तो चीन का हमला मोदी या मोदी भक्तों पर ही नहीं होगा बल्कि सम्पूर्ण भारत और भारतीयों पर होगा। ईश्वर ऐसे देश विरोधियों को सद्बुद्धि दें।
*जय हिन्द*
-एलसी भंडारी
Pramod Shukla जी की वॉल से