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ओली का राम नाम असत्य

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली... चाइनीज़ प्रेसीडेंट शी जिनपिंग की भक्ति में अब इतिहास... भूगोल... और कूटनीतिक रिश्तों की मर्यादा को भी पूरी तरह भूल चुके हैं । कम्युनिस्ट और नास्तिक शी जिनपिंग और के पी शर्मा ओली जब सीमा विवाद के बाद भी भारत का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाए तो अब भारत के खिलाफ सांस्कृतिक हमले का नया तरीका निकाला गया है । इस बार के पी शर्मा ओली ने भारत की आत्मा पर चोट करने की कोशिश की है । मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं । के पी शर्मा ओली ने ये कहकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की है कि भगवान राम भारतीय नहीं थे...राम तो नेपाल के थे ।

हम पूरे ऐतिहासिक दस्तावेजों और भौगोलिक प्रमाणों के साथ ओली के बयानों और प्रोपागेंडा को ध्वस्त करें

1- के पी शर्मा ओली ने कहा कि भगवान राम को नेपाली हैं ।

झूठ क्यों ?
नेपाल सिर्फ 250 साल पुराना देश है

शायद के पी शर्मा ओली जी को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि भगवान राम के युग में नेपाल जैसा कोई अलग देश था ही नहीं
आज जिसे नेपाल कहा जाता है उसके हिस्सों पर मिथिला के राजा जनक का शासन था । आज का नेपाल भगवान राम के युग में अखंड भारत की भूमि का ही एक हिस्सा था ।

अगर आप गूगल पर लिखिए Founder of Nepal... तो राजा पृथ्वी नारायण शाह का नाम आता है । गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह ने आज से 252 साल पहले 25 सितंबर 1768 को तीन प्रांतों... काठमांडू... पाटन और भक्तापुर को मिलाकर नेपाल की स्थापना की थी ।

(लिखकर देखिए... ये आएगा...
The Kingdom of Nepal was founded on 25 September 1768 by Prithvi Narayan Shah, a Gorkha king who succeeded in unifying the kingdoms of Kathmandu, Patan, and Bhaktapur into a single state under his Shah dynasty.)

2- के पी शर्मा ओली ने ये भी कहा कि अयोध्या नेपाल के जनकपुर जिले के बीरगंज के पास ठोरी नाम की जगह में है ।

झूठ क्यों ? दुनिया में अयोध्या नाम के कई शहर हैं इससे कुछ साबित नहीं होता ।

थाईलैंड में भी अयोध्या नाम का एक शहर है... इसे थाईलैंड के लोग... अयुथ्या कहते हैं । इंडोनेशिया में भी अयोध्या नाम की एक जगह है । पाकिस्तान के एक जिले डेरा इस्माइल खान में भी अयोध्या नाम की एक जगह है ।

3- के पी शर्मा ओली ने ये भी कहा कि अयोध्या नेपाल में जनकपुर जिले में है ।

झूठ क्यों ? सरयू कहां से लाओगे ?

भगवान राम की लोकप्रियता सदियों पहले ही भारत की सीमाओं को पार कर चुकी थी । भगवान राम के जन्मस्थान के नाम पर अयोध्या शहर तो दुनिया में कहीं भी बसाए जा सकते है । लेकिन सरयू नदी कोई कहां से धरती पर उतार सकता है जो अयोध्या की पहचान है ।

प्रमाण 1- दुनिया के सबसे पहले महाकाव्य श्री वाल्मीकि रामायण के बालकांड के पांचवे सर्ग में अयोध्या का वर्णन करते हुए लिखा गया है । कोशल नाम से प्रसिद्ध एक बहुत बड़ा जनपद है जो सरयू नदीके किनारे बसा हुआ है । उसी जनपद में अयोध्या नाम की एक नगरी है जो समस्त लोकों में विख्यात है । उस पुरी को स्वयं महाराज मनु ने बनवाया और बसाया था ।

4- के पी शर्मा ओली ने कहा कि उस वक्त मोबाइल और टेलीफोन नहीं थे इसलिए मिथिला से 522 किलोमीटर दूर जाकर अयोध्या में शादी हो ही नहीं सकती है ।

झूठ क्यों ? इससे ज्यादा बचकाना बयान नहीं हो सकता है ।

श्री वाल्मीकि रामायण के 68वें सर्ग में लिखा है... राजा जनक की आज्ञा पाकर उनके दूत अयोध्या के लिये प्रस्थान करते हैं । रास्ते में वाहनों के थक जाने के कारण तीन रात विश्राम करके चौथे दिन राजा जनक के दूत अयोध्यापुरी में पहुंचते हैं ।

हजारों साल पहले भी हजारों किलोमीटर दूर तक संचार होता था । और राजा एक दूसरे से वैवाहिक रिश्ते भी बनाते थे ।

निष्कर्ष- हकीकत ये है कि के पी शर्मा ओली सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए नेपाल में सांस्कृतिक स्वाभिमान की राजनीति कर रहे हैं । लेकिन हमें पूरा यकीन हैं कि नेपाल के लोग हमेशा भारत के साथ रहेंगे और कम्युनिस्ट शासन को ठोकर मार देंगे ।

सत्यमेव जयते
दिलीप पाण्डेय जी