जगबीर सिंह's Album: Wall Photos

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अब्दुल पंचर वाले से लेकर हामिद अंसारी तक और ड़ा कफील से लेकर कश्मीर के आतंकियों तक सबके सब केवल एक ही सपना आँखों मे संजोएं बैठें है....लक्ष्य है निजाम ए मुस्तफा....रास्ता है गजवा ए हिंद.....और सोच है शरिया ए मुल्क...!!

मेरी उपरोक्त बातों पर न केवल शांतिधूर्तों बल्कि उनके कवच और कुंडल बने वामपंथियों,कांगियो और सेकुलरों जैसी सोच रखने वाले बहुतों के पिछवाड़े मिर्ची लग गई होगी....लेकिन सत्य कड़ुवा होता है ...उसे पचा पाना आसान नही होता है...उसे तो सुनना ही पड़ेगा....!

बड़े स्पष्ट शब्दों मे दो बात बता दूं...पहली बात तो चांद तारे के आतंक की है....दूसरी बात उसी चांद तारे के वैचारिक खोखलेपन की है..!!

दरअसल पहली बात की बात यह है कि अब गंगा जमुनी तहजीब का मजहबी पानी पी पी कर हम ऊब चुके हैं...भाईचारे का टोंटीदार लोटा देख कर अब हमारा गला चोक होने लगा है...हर कदम पर चोट खाने के बाद एक तरफा भाईचारा का बोझ उठाते उठाते हुये हमारे कंधे थक चुके हैं.....बस बहुत हो चुका है अब और नही.........हमारे कानो मे कश्मीरी पंडितो से लेकर कैराना तक और केरल से लेकर प.बंगाल तक तहजीब की भेंट चढ़ चुके हमारे रक्तवंशियों की आवाजें गूंजती है और उनकी निरीह आत्मायें हमे सोने नही देती...वो अपना कसूर और हमारे किन्नरपने का कारण हमसे पूछती हैं....क्या कहूं...!!

दूसरी बात मे बात की बात यह है कि मुसलमानों के पिछड़ेपन को समझने के लिए सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पढ़ने की बिल्कुल जरुरत नहीं है.......केवल उनकी फेसबुक या सोशल मीडिया के किसी प्लेटफार्म पर जाकर उनकी पोस्ट,कमेंट या शेयर के उसके कंटेंट्स पढ़ लीजिये...आपको समझ आ जायेगा कि गडबड़ी कहां है....!!!

अलतकिया टाईप के कुछ अपवादों को छोड़कर ज्यादातर पोस्ट का मजमून कुछ यूँ होता है- हिन्दुओं के देवी देवता का अपमान,मोदी जी और RSS को गाली या अल्लाह हमको ये अता फरमा वो अता फरमा,नमाज के फायदे,नमाज के तरीके या फिर मेरे नबी तुम्हारी ये शान तुम्हारी वो शान,ये मस्जिद वो मस्जिद,मक्का,मदीना,नमाज पढ़ने वाला छोटा सा बच्चा,बुरका पहनने के फायदे,इस्लामी कानून की महिमा,पेड़ पर/ बादलों में/जमीन पर लिखा हुआ अल्लाह, ईराक सीरिया में मरे हुए लोगों के लिए जन्नत की दुआएं,हिंदूवादी नेताओं और लेखको को लानत भेजती हजारों हज़ार पोस्ट्स,कुरआन की आयतें....या अयोध्या मे ५ अगस्त को होने वाले प्रभू श्रीराम जी के मंदिर के नीव पूजन के विरोध की गजनवी और बाबर जैसी घटिया,सड़छाप और मुंगेरीलाल वाली खालिस कल्पनायें....!!!!

सोचिये ये देश के उस मुसलमान की हालत है जो अच्छा खासा पढ़ा लिखा है जो स्मार्टफोन और लैपटॉप इस्तेमाल करता है और फेसबुक-ट्विटर पर सक्रिय है। इससे अनपढ़ या कम पढ़े लिखे कामकाजी या मजदूर टाइप मुसलमानों की स्थिति का अंदाज़ा अपने आप हो जाता है।

अगर आप यह सोच रहे हैं कि मैं मुस्लिम समाज की बुराई कर रहा हूँ तो आप गलत हैं। मैं सिर्फ मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन को उजागर कर रहा हूँ, जैसा कि सच्चर कमिटी ने भी किया है.......अंतर सिर्फ इतना है कि सच्चर कमेटी ने बताने की कोशिश की थी कि भारत में मुसलमानों की सामाजिक स्थिति क्या है और मैं ये बताने की कोशिश कर रहा हूँ कि ये स्थिति क्यों है....और कैसे उनको मजहब के नाम पर यूज कर लिया जाता है..!

मुसलमान तब आगे बढ़ेगा जब वह हर बात पर अल्लाह अल्लाह करने के बजाए शिक्षा पर बात करेगा,रोजगार पर बात करेगा,मूलभूत सुविधाओं पर बात करेगा,संविधान पर बहस करेगा,अपने कानूनी अधिकारों के लिए आवाज उठाएगा, अपने समाज की बुराइयों पर बात करेगा...अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य की करेगा.....लेकिन ऐसा वो करता नही क्योंकि तारेक फतेह के शब्दों मे कहा जाय तो वो अल्ला नही बल्कि मुल्ला के इस्लाम का पालन कर रहा है इसलिये वो पूरी दुनिया मे आज उपहास,नफरत और उपेक्षा का कारण बन चुका है.....जबकि मानव बनने की शिक्षा केवल सनातन देता है और तुलनात्मक रूप से इसीलिये सनातनी इनसे ही नही ....किसी से भी श्रेष्ठ होते है...और हैं भी...!

फिलहाल मुस्लिम भायजानो को विकसित करने के लिये कॉमन सिविल कोड की जरूरत है....और सबका विश्वास वाले सिद्धांत के तहत मोदी जी जरूर इस कानून को जल्दी लाकर उन्हे उनके शरई रेतीले कानून से मुक्त करायेंगे....आमीन..... !!

#वंदेमातरम्
#Ajit_Singh