सिकन्दर राठौर's Album: Wall Photos

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#भोजन_के_प्रकार

#भीष्म_पितामह ने में गीता में अर्जुन को 4 प्रकार के #भोजन के बारे में बताया है.......

#पहला भोजन जिस भोजन की थाली को कोई लांग के गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है।

#दूसरा भोजन जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई पाव लग गया वह भोजन की थाली भीस्टा के समान होती है।

#तीसरे प्रकार का भोजन जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो केश पड़ा हो वह दरिद्रता के समान होता है।

#चौथे नंबर का भोजन अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है और सुनो अर्जुन अगर पत्नी पति के भोजन करने के बाद थाली में भोजन करती है उसी थाली में भोजन करती है या पति का बचा हुआ खाती है तो उसे चारों धाम के पुण्य का फल प्राप्त होता है चारों धाम के प्रसाद के तुल्य वह भोजन हो जाता है।

#विशेष - - बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है (एक ही थाली में) तो उस पिता की कभी #अकाल_मृत्यु नहीं होती क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें क्योंकि वह अपने पिता की #अकाल मृत्यु को हर लेती हैं।