आशीष शर्मा सनातनी 's Album: Wall Photos

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Kashi/Uttar Prdaesh: भारत ही धरती से लगातार मंदिर और हिन्दू देवी देवताओ की प्रतिमा और शिवलिंग निकलने का सिलसिला निरंतर ज़ारी है। BHU (बीएचयू) की पुरातत्व विभाग की टीम को कशी में खुदाई के दौरान बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। इस खुदाई में काशी के बहुत ही प्राचीन शिवलिंग और शिव मंदिर के मिले हैं। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी के पंचकोशी मार्ग पर बभनियाव गांव में लॉकडाउन से पहले BHU की पुरातत्व विभाग की टीम ने खुदाई आरम्भ की थी।कोरोना लॉकडाउन से पहले जिस साइट से जटाधारी शिवलिंग प्राप्त हुआ था। अब उसी स्थान की खुदाई में वहां से एक प्राचीन शिव मंदिर मिला है। विभाग की टीम इसे 3th शताब्दी की मान रही है। सबसे खास बात यह रही की इस मिले शिव मंदिर में जल निकासी की व्यवस्था वास्तु के हिसाब से की गई है। अब टीम इस प्राचीन शिव मंदिर के पूर्ण और असल स्वरूप को जानने का प्रयास में जुटी है।बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग की टीम को जाँच में पता चला है की यहां एक ऊंचे अधिष्ठान पर गर्भ गृह का निर्माण कराकर शिवलिंग स्थापित किया गया था। अभी तक काशी में नगवा के कर्मदेशवर महादेव मंदिर को सबसे प्राचीन शिव मंदिर के तौर पर देखा जाता है, जो कि 10 वीं शताब्दी का है। अब बभनियाव गांव में जो शिव मंदिर मिला है, उसका इतिहास तीसरी शताब्दी का सामने आ रहा है। मतलब यह मंदिर इस सदी का सबसे प्राचीन शिव मंदिर हो सकता है।आपको बता दे की अभी मिले इस मंदिर के सामने ही एक और शिव मंदिर और शिवलिंग पहले मिला था। यह मंदिर और शिवलिंग एक कुएं की खुदाई करते समय मिला था, जिसके बाद गांव के लोगों ने यहां पर शिव मंदिर बना दिया था, जो गहरी सीढ़ियां उतारते हुए मंदिर तक जाने का जरिया था। यह कुछ साल पहले की है।खबर मिली है की इस प्राप्त शिव मंदिर के ऊपर का आधा भाग को अलग किया, तो इससे जुड़ा हुआ एक प्रदक्षिणा पथ भी देखने को मिला। ऊंचे और गोल अकार में गर्भ ग्रह का निर्माण करके उसके अंदर शिवलिंग स्थापित किया गया होगा। शिवलिंग का पत्थर भी चुनार के बलवा मिट्टी का बना हुआ है। इसमें जटाधारी शिवलिंग का आकार देखे देता है।जब कुए की खुदाई करते वक़्त मिली अपने आप घास गई थी और नीचे गहराई में मंदिर नुमा कुछ डेल्ही दिया था। तब किसी ने इस बात को गम्भीरता से नहीं लिया। फिर देश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने से इस क्षेत्र पर काल चालू किया गया और अब हिन्दू मंदिर और शिवलिंग धरती से निकल रहे है।