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काँग्रेस ने चीन के इशारे पर इस प्रकार बर्बाद किये थे भारत के अनेकों कुटीर उद्योग-धंधे..

अभी कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का प्रेस कॉन्फ्रेंस देखा जिसमें उन्होंने कई दस्तावेज दिखाते हुए जो खुलासा किया वह बेहद चौंकाने वाला है।

2006 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और कमलनाथ वाणिज्य मंत्री थे। तब कमलनाथ ने चीन जाकर एक ऐसा समझौता किया जिसने भारत के सभी गृह उद्योग को बर्बाद कर दिया।

दरअसल चीन सरकार ने जब राजीव गांधी फाउंडेशन को एक करोड़ रुपया दिया उसके 10 दिन के बाद ही कमलनाथ चाइना गए।

भारत में बिहार, यूपी, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय यानी बहुत से राज्य ऐसे थे जहां के किसान बांस की खेती करके अपना गुजारा करते थे। भारत के बांस बहुत जगह इस्तेमाल होते थे, न सिर्फ अगरबत्ती बनाने में बल्कि बांस से दूसरी तमाम चीजें बनाई जाती थी।

उधर चीन भी बांस का बहुत ज्यादा उत्पादन करने लगा। तब उसने कमलनाथ पर दबाव डालकर बांस के आयात पर लगने वाले ड्यूटी को खत्म करवा दिया और भारत मे चीन सरकार के दबाव में कांग्रेस सरकार ने बांस को पेड़ की श्रेणी में ला दिया, अर्थात अगर किसी किसान को अपना बांस काटना है तो उसे वन विभाग से और दूसरे तमाम सरकारी विभाग से जरूरी अनुमति लेनी पड़ेगी।

कांग्रेस सरकार के इस आत्मघाती कदम ने लाखों किसानों को बर्बाद कर दिया और भारत में बांस उगा कर गुजारा करने वाले किसान और तमाम कुटीर उद्योग नष्ट हो गए।

उसके बाद अगरबत्ती बनाने वाले खिलौने बनाने वाले सब चीन के बांस पर निर्भर हो गए।

मोदी सरकार ने बाद में संसद ने यह बयान दिया कि हम बांस को फिर से फसल और घास की श्रेणी में रखेंगे। किसान जब चाहे तब बांस को काट सकता है उसे बांस को काटने के लिए या बांस को पूरे भारत में कहीं भी परिवहन करने के लिए वन विभाग की कोई सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी।

इतना ही नहीं मोदी सरकार ने चीन से आने वाले बांस पर एंटी डंपिंग ड्यूटी भी लगा दी। और इस तरह वापस बांस उगाने वाले किसानों की हालत सुधरने लगी।

और यह कांग्रेसी गद्दार हमें सिखाते हैं कि चीन के साथ क्या करना चाहिए..