सिकंदर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!
काफी दिनों तक दुनियाँ में भटकने के पश्चात आखिरकार उस ने वह जगह पा ही ली, जहाँ उसे अमृत की प्राप्ति हो
उसके सामने ही अमृत जल बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक बुढा व्यक्ती जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला, रुक जा, यह भूल मत करना...!’
बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह बुढा !
सिकंदर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’
बुढे ने उत्तर दिया, ..मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने यह अमृत पी लिया !
अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... !देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पैर गल गए हैं, देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूँ...चीख रहा हूँ...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !
अब प्रार्थना कर रहा हूँ परमात्मा से कि प्रभु मुझे मौत दे !
सिकंदर चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, बिना अमृत पिए !
सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द
उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं!
इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा कीजिये !
जितना जीवन मिला है,उस जीवन का भरपूर आनन्द लीजिये ! हमेशा खुश रहीए !