lalitkgupt50's Album: Wall Photos

Photo 47 of 3,304 in Wall Photos

नागमणि की तलाश !

अभी एक पौराणिक कथा पढ़ते हुए नागमणि की फिर से याद आई। हमारे पुराण और हमारी लोककथाएं ऐसी मणियों की चमत्कारी कथाओं से भरी पड़ी हैं। बचपन में हम सबने इसके असंख्य किस्से सुने हैं। फिल्में भी देखी हैं। शास्त्रों के अनुसार दस प्रकार की मणियों में नागमणि का प्रमुख स्थान है। अग्नि के समान चमकीली यह मणि दुर्लभ किस्म के सांपों के माथे में मौजूद होती है। जिस व्यक्ति को यह मणि मिल जाय, उसे कई चमत्कारी शक्तियों के अलावा विषों और रोगों से बच निकलने की शक्ति भी हासिल हो जाती है।। नागमणि का आकार मोती जैसा होता है। स्वाती नक्षत्र की बारिश की बूंदों के सांप के मुंह में जाने से यह बनती है। यह भी कि यह मणि उसी सांप के हिस्से आती है जो सौ साल जिंदा रहता है। मणिधारी सांपों को नागराज कहा गया है। धरती पर नागमणि बहुत कम दिखती है, लेकिन पाताल लोक इसकी आभा से जगमगाता रहता है। नागराज बासुकी सभी प्रकार की नागमणियों के स्वामी हैं।

नागमणि के बारे में अनंत किस्सों, जिज्ञासाओं और दुनिया भर में उसे देखे जाने के दावों के बीच खोजी लोगों और जीव विज्ञानियों ने दुनिया भर में सांपों का व्यापक अध्ययन किया है। निष्कर्ष आमतौर पर यह रहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में मणिधारी सांपों या नागमणियों का कोई अस्तित्व नहीं है। इस संबंध में सबसे दिलचस्प और प्रामाणिक खोज उन्नीसवीं सदी के अंत में अमरीकी वैज्ञानिक प्रो हँसोल्डट की है। उन्होंने श्रीलंका में अपनी आंखों से कुछ सांपों के सिर पर नागमणि देखी और उन्हें हासिल भी की। शोध से पता चला कि नागमणि वस्तुतः सांप के सिर में मौजूद एक दुर्लभ खनिज क्लोरोफेन से निर्मित छोटा-सा पत्थर है। यह खनिज गर्मी मिलने से चमकता है। हाथ में लें तो हथेली की थोड़ी-सी गर्मी से भी यह घंटों तक चमक दे सकता है। इसे कोबरा पर्ल या ब्लैक स्टोन भी कहा जाता है। प्राचीन काल से लेकर पिछली सदी तक दुनिया भर में इस चमकीले पत्थर से सांप के विष का इलाज किया जाता रहा था। अब वैज्ञानिक ऐसे इलाज़ को अंधविश्वास साबित कर चुके है।

अपनी चमक और कथित जीवनदायी गुणों के कारण ही शायद नागमणि प्राचीन लोगों के आश्चर्य और आस्था का केंद्र बनी। भारत में नागपूजा का संभवतः यही रहस्य है। कालांतर में इसके आसपास असंख्य झूठे-सच्चे मिथक गढ़कर लोगों ने इसे अलौकिक बना दिया।