संदीप कुमार सोनी's Album: Wall Photos

Photo 5 of 12 in Wall Photos

तस्वीर कश्मीर के सोपौर की है

तीन साल का बच्चा अपने नाना के साथ जा रहा था

एक मस्जिद में छिप कर बैठे आतंकवादियों ने राह चलते बुजुर्ग को गोली मार दी

बच्चा बिलखता हुआ बूढ़े की मृत देह को झकझोरता रहा, कभी हाथ खींचता, कभी पैर, कभी पेट पर बैठ जाता

नाना के पेट पर चढ़ कर खेलने की आदत रही होगी, बच्चा समझ नहीं पाया कि नाना अब खेलने की चीज नहीं रहे, उनकी छाती में जिहाद ठोक दिया गया है या पेट पर चढ़ कर जगा रहा हो शायद

खैर गोलियों की बौछार के बीच घुस कर किसी सैनिक ने बच्चे को निकाला वहाँ से

भारतीय सेना यूँ भी मौत के मुँह में घुस कर जीवन निकाल लेने के लिए जानी जाती रही है

गोलियां मस्जिद से चल रही थीं और मरने वाला बुजुर्ग भी उसी कौम का था पर बच्चे के लिए जान की बाजी लगाने वाला सैनिक उस कौम का नहीं था

उसकी कौम थी CRPF
उसकी जाति थी भारतीय सेना

विपत्ति में फँसे हर देशवासी के लिए जो जान हथेली में लेकर सदा तैयार खड़े रहते हैं, उन योद्धाओं की जाति है सेना, और धर्म है भारत

सम्प्रदायों के नाम पर राह चलते लोगों को गोलियों से भून देने वाले लोग अभी हजार वर्षों तक भारतीय सेना से सीखेंगे कि धर्म कहते किसे हैं

बच्चे को गोद में लेकर निकलते सैनिक की तस्वीर इस साल की सबसे सुन्दर तस्वीर है

जिस कश्मीर को वहाँ के लोगों ने ही नरक बना दिया है, उस कश्मीर के लिए यह घटना आदर्श होनी चाहिए थी

इस घटना से सीखा जा सकता है कि मित्र कौन है और शत्रु कौन

यह घटना दुनिया को बताती कि भारतीय सेना उनको बचाने के लिए भी अपनी जान लुटा देती है, जो उसी के विरुद्ध लड़ रहे हैं पर इस बच्चे की तस्वीर वायरल नहीं होगी

कोई पत्रकार इसे अपनी वाल पर नहीं लगाएगा

इस तस्वीर पर कविताएं नहीं लिखी जाएंगी

कोई एक्टिविस्ट इसपर मुँह नहीं खोलेगा

मीडिया अब सकारात्मक खबरों के चक्कर में नहीं पड़ती

कथित एक्टिविस्ट सकारात्मकता की ओर देखते भी नहीं, उन्हें केवल वही घटना चाहिए जिसके बल पर सेना को बुरा कहा जा सके, जिसके कारण देश को असहिष्णु बताया जा सके

प्राचीन काल से ही भारत दो बातों के लिए जाना गया है, एक अपनी विद्वता के लिए और दूसरा सैनिकों के शौर्य के लिए, उनके समर्पण के लिए

भारत का सौभाग्य है यह कि उसमें ये दोनों गुण अब भी विद्यमान हैं और जब तक यह है कोई चीन, कोई पाकिस्तान या कोई कम्युनिज्म भारत का बाल भी बांका नहीं कर सकता

खैर बच्चे को सेना ने उसके परिवार के पास पहुँचा दिया है

देश अपनी उलझनों में है और सेना मुस्कुरा कर अपनी ड्यूटी पर डटी हुई है