यश्च रामं न पश्येत्तु यं च रामो न पश्यति ।
निन्दितः सर्वलोकेषु, स्वात्माप्येनं विगर्हते ॥१४।।
जो राम को नहीं देखता है, और जिस प्राणीपर भगवान राम की दृष्टि नहीं पड़ी है , वह सारे संसार में निन्दित होता है और ऐसे व्यक्तिको उसकी आत्मा भी धिक्कारती रहती है ।
सर्वेषु स हि धर्मात्मा वर्णानां कुरुते दयाम्।
चतुर्णां हि वयः स्थानां तेन ते तमनुव्रताः।।१५।।
धर्मात्मा राम चारों वर्णों के सभी मनुष्यों पर उनकी अवस्था के अनुसार सदैव दया करते थे।इसलिये सभी प्राणी उन दिव्य धर्मात्मा राम के परमभक्त थे।
(वा०रा०२.१७.१४/१५)
अभागा व्यक्ति वह है जो परमात्माके दयाका पात्र नही बन पाया है। पमात्मा जिसके ऊपर परम् दया करते है उसको अपनी अहैतुकी भक्ति प्रदान करते है।जो भगवान का भक्त होगया , संसार का सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति वही है।।
।।ॐ नमो नारायणाय।।