निर्मल चैतन्य's Album: Wall Photos

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*नास्त्यसूयासमा कीर्तिर्नास्ति कामसमोऽनलः ।*
*नास्ति रागसमः पाशो नास्ति सङ्गसमं विषम् ।।*
     नारदपुराण, पू०,१/७/४२

"असूया (दूसरों के गुणों में भी दोष देखना) के समान कोई अपकीर्ति नहीं है, काम के समान कोई आग नहीं है, राग के समान कोई बंधन नहीं है और आसक्ति के समान कोई विष नहीं है ।"