निर्मल चैतन्य's Album: Wall Photos

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अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्।
अमृतं राहवे मृत्युर्विषं शंकरभूषणम्।।

योग्य पुरुष के लिये साधारण वस्तु भी आभूषणस्वरूप हो जाता है, जबकि नीच पुरूष के लिये सुन्दर वस्तु भी दोषरूप बन जाता है । समुद्रमंथन से निकला हुआ अमृत राहू के लिये प्राणघातक बन गया जबकी उसी समुद्रमंथन से निकला हुआ प्राणघातक कालकूट विष भी भगवान शंकर के लिये आभूषण बन गया।

【समयोचितपद्यमालिका ६/१२】
।।ॐ नमो नारायणाय।।