चीनी सैनिकों के घुसपैठ पर कांग्रेस पार्टी वाले गांधी परिवार का रवैया बड़ा संदेहास्पद है। पहले राहुल गांधी ने ये पूछा कि चीन की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि उसने हमारे सैनिकों को मार दिया। फिर उसी ट्वीट में दूसरा सवाल और जोड़ दिया चीन की हिम्मत कैसे हुई कि वह हमारी सीमा में घुस आया?
ये गुस्सा देखकर किसी को भी अच्छा लगेगा कि गांधी परिवार देश की सीमाओं को लेकर कितना चिंतित है। लेकिन मैं पूछ सकता हूं कि राहुल गांधी सवाल पूछ रहे हैं या शर्मसार कर रहे हैं? वो एक तरह से सूचित कर रहे हैं कि चीन हमारी सीमा में घुस आया है। क्या उन्होंने ऐसा किसी सरकारी सूचना के आधार पर किया है या उनका अपना कोई प्राइवेट चैनल चीन के साथ खुला हुआ है?
खैर, अब सोनिया गांधी तो बेटे से भी दो कदम आगे जा रही हैं। वो सरकार से वो सब जानकारियां चाह रही हैं जो निश्चित तौर पर इस समय क्लासीफाइड सूचना की श्रेणी में होगीं। ऐसी परिस्थितियों में कितनी सूचना देनी है, कितनी नहीं ये सेना और सरकार मिलकर तय करते हैं। लेकिन सोनिया गांधी जिस तरह से कह रही हैं कि हमें ये बताइये, हमें वो बताइये उससे दो ही बात समझ में आती है। एक, या तो वो संवेदनशील समय में केन्द्र सरकार को कमजोर करके चीन को मदद पहुंचाना चाहती हैं या फिर अभी तक वो इस खुमार में हैं कि केन्द्र में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हैं और यूपीए चेयरपर्सन की कुर्सी पर बैठी राजमाता। उन्हें याद रखना चाहिए कि वो एक ऐसे दल की अध्यक्ष हैं जिसकी संसद में इतनी हैसियत नहीं है कि उनकी पार्टी को नेता विपक्ष की कुर्सी मिल सके।
खैर, कांग्रेस की अपनी कमियां और कमजोरियां हैं। ये लोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के वैचारिक साझीदार हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से कांग्रेस एमओयू साइन करके बैठी है। सरकार से जानकारियां हासिल करके चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को भी दे सकते हैं। आखिर एमओयू में सूचनाओं के लेन देन का प्रावधान भी तो मौजूद ही है।