Brahmcharini Bharti Chaitanya भारती चैतन्य's Album: Wall Photos

Photo 9 of 9 in Wall Photos

प्रेम दो ही चीज से प्राप्त होता है । सेवा से और त्याग से । और किसी प्रकार प्रेम प्राप्त नहीं होता है । किंतु ये आप लोग चिंतन करते है । सुनिये , ये बहुत बड़ी गंभीर बात है । आप लोग जो चिंतन करते हो , तो चिंतन करते - करते , चिंतन में आसक्ति प्राप्त होती है । प्रेम प्राप्त नहीं होता है । अभ्यास करते - करते , जिस तरह का अभ्यास हम करते है , उस अभ्यास को बिना करें , हम नहीं रह सकते है , तो अभ्यास करने में आसक्ति होती है । अभ्यास करने से आसक्ति प्राप्त होती है , प्रेम प्राप्त नहीं होता है । प्रेम तो दो ही चीज से प्राप्त होता है । सेवा करो और त्याग करो । त्याग मतलब अचाह होना । और सेवा मतलब सभी जीवों के लिए उपयोगी होना , सभी जीवों के प्रति सद्भाव रखना । तो सारांश क्या निकला ? अगर आप प्रभु विश्वासी है तो आपको व्रत लेकर रहना पड़ेगा कि , अब मैं सब प्रकार से प्रभु का ही होकर रहूंगा । उन्हीं के नाते सभी के प्रति सद्भाव रखूंगा । तो सद्गुरु की वाणी सुनने को मिलेगी कि , बेटा ! तुम्हारा नित्य प्रभु में ही वास रहेंगा ।

ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय स्वामी श्री शरणानन्दजी महाराज