सेवाव्रती राजकिरण स्वदेशी 's Album: Wall Photos

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किस रज से बनते कर्मवीर ..... भाग - १

नहीं यार, वो पैकेट अभावग्रस्त लोगों की सूची है उनके लिए है और संघ ने तो यही सिखाया कि स्वयंसेवक वो होता है जो अपने घर का खाकर समाज का काम करता है. लंबी सांस लेते हुए उसने कहा कि यार संघ के काम को तुम नहीं समझोगे. मेरे पास 50 भोजन के पैकेट बांटने की जिम्मेदारी है और मैं वह सभी राशन के पैकेट सूचीबद्ध अभावग्रस्त लोगों को नियमित पहुंचाता हूं. एक भी पैकेट अगर समय पर नहीं पहुंचा तो वो परिवार भूखा ही रह जाएगा. संघ के स्वयंसेवक के रहते हिन्दू समाज भूखा रह रह गया तो स्वयंसेवक के जीवन की सार्थकता ही क्या है? यह जो राशन पैकेट है, वह स्वयंसेवकों के लिए नहीं है, समाज के लिए हैं.

भोजन थाली में लगभग ठंडा हो चुका था, मैं उठकर रसोई में गया. एक झोले में दाल चावल, तेल और आटा रखा और विनोद के घर की ओर निकल पड़ा. आज मन को बहुत ही अच्छा लग रहा था क्योंकि विनोद के घर की ओर बढ़ते हर कदम पर मैं स्वयंसेवक बन रहा था और मन में एक ही भाव बार-बार हिलोरे मार रहा था.
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