आइए चीन के हाथों बिके हुए भारत के स्वघोषित डिफेंस एक्सपर्ट और तथाकथित डिफेंस जनरलिस्ट अजय शुक्ला के झूठ व् धूर्तता से परीपूर्ण लेख पर दृष्टि डालते हैं।
फोटो चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स को कोट कर लिखे गए तथाकथित डिफेंस एनालिस्ट अजय शुक्ला के लेख का है जिसमें चीन के हवाले से अजय शुक्ला दावा कर रहे हैं कि चीन ने दो लाख सैनिक एलओसी पर तैनात कर रखे हैं,
जबकि चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स स्वयं अपने लेख में स्वीकार कर रहा है कि यह दो लाख सैनिक एलएसी से 1400 किमी से 1600 किमी कि दूरी पर हैं,
और अभी यदि तुरंत एलएसी पर युद्ध छिड़ जाए तो सर्वप्रथम चीन कि सहायता को पहुंच सकने वाली उसकी 6 डिवीजन के 10 हजार सैनिक भी उन्हें 600 किलोमीटर दूर से लाने पड़ेंगे।
वास्तविकता यह है कि लद्दाख तक पहुँचने और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए चीनी सेना केवल G219 पर निर्भर है, जिसे दौलत बेग ओल्डी से टेक ऑफ करने वाले एक mig-29 द्वारा अथवा मात्र एक क्रूज़ मिसाइल प्रयोग कर भी सरलता से काटा जा सकता है, जिसके बाद एयर सुपीरियोरिटी फाइटर सुखोई 30 MKI द्वारा अथवा आकाश सिस्टम द्वारा नीचे से तिब्बत स्थित नीचे के एयरबेस से आधे टैंक फ्यूल और आधे वेपन लेकर लद्दाख की ऊंचाई तक आने वाली चीनी वायुसेना जेट्स को न्यूट्रलाइज किया जा सकता है, जिसके बाद लद्दाख में चीनी सेना मात्र भारतीय सेना के रहमो-करम पर होगी, परंतु क्योंकि यह कटु सत्य चीन के पक्ष में नहीं जाता अतः अजय शुक्ला ने इस तथ्य का उल्लेख करना महत्वपूर्ण ही नहीं समझा,
और क्योंकि अजय शुक्ला जैसे डिफेंस जर्नलिस्ट को चीन से मोटा माल मिला है इसीलिए वह हैडलाइन सदैव इस प्रकार की बनाएंगे कि भारतीय जनता जो डिटेल्स पर ध्यान नहीं देती और टेरेन व् वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ है उनके मन मस्तिष्क में चीन के प्रति भय पैदा हो और उन्हें अजय शुक्ला का लेख पढ़कर ऐसा लगे मानो कि चीन विश्व की सबसे बड़ी मिलिट्री सुपर पावर है जिसके आगे भारत कहीं नहीं ठहरता, और युद्ध मे तो जैसे चीन पूरे भारत पर ही कब्जा कर लेगा और भारत किसी भी एंगल से उससे डील नही कर सकता,
जबकि वास्तविकता यह है कि बिना हथियारों का इस्तेमाल किये हुए और बुरी तरह से 1:5 के रेश्यो से आउट नंबर होने के बावजूद 20 भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान देकर चीन के 100 से अधिक सैनिक जहन्नुम भेज दिए थे,
और यदि आज पुनः परिस्थिति बिगड़ती है तो ग्राउंड फोर्सेस और एयरसपोर्ट इस्तेमाल कर मात्र 4 घंटे के अंदर भारतीय सेना लद्दाख में आगे बढ़कर चीन द्वारा 1962 में जवाहरलाल नेहरू के कालखंड में कब्जा किये गये भारतीय इलाके का बड़ा हिस्सा वापस भी छीन सकती है।
कटु सत्य यह है कि चीन की सेना तो वह कोमलांगिनी सेना है जो वियतनाम की महिला मिलिशिया के आगे सरेंडर कर चुकी है, और कांगों व् नाथू ला-चो ला में अपने हथियार, रसद, उपकरण और अपने घायल साथियों को छोड़कर पीठ दिखाकर भागने के लिए आजतक बदनाम है।