अवधेश प्रताप सिंह's Album: Wall Photos

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आदरणीय प्रियंका जिज्जी,
आपने अपनी माताजी के मंगलसूत्र का विक्टिम कार्ड खेला... कुछ सवाल...
सोनिया जी का मंगलसूत्र किसने छीना? आपकी माताजी का मंगलसूत्र छीनने वाली विचारधारा और लोग कौन थे? आपको और आपके भैया राहुल जी को सब पता है कि आपकी मां के मंगलसूत्र के अपराधी कौन थे? छी... फिर भी आपने उस विचारधारा से हाथ मिला लिया... वो भी चंद चुनावी सीटें जीतने के लिए... शर्मनाक है ये !!!!
अब बाकी लोग सच सुनिये... तथ्यों, तर्को और सबूतों के साथ... बात 1991 की है... #लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या कर दी... लिट्टे और #डीएमके के करीबी संबंध सभी को पता थे... राजीव गांधी की हत्या की जांच के लिये बने #जैन_कमीशन ने 1998 में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी... इस रिपोर्ट में डीएमके और उसके नेता करुणानिधि (स्टालिन के पिता, उदयनिधि के दादा) पर कई गंभीर आरोप लगाये गये थे, जिसमें सबसे बड़ा आरोप ये था कि -
“राजीव गांधी के हत्यारों को बढ़ावा देने के लिए तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. के. करुणानिधि और डीएमके को जिम्मेदार माना जाये।”
इतना ही नहीं सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर और राजीव गांधी हत्याकांड के मुख्य जांच अधिकारी डी. आर. कार्तिकेयन ने अपनी पुस्तक “Rajiv Gandhi Assassination: The Investigation” में लिखा है कि –
" कैसे वो समय समय पर सोनिया गांधी को जांच के बारे में बताने के लिए 10 जनपथ जाते रहते थे और एक ऐसे ही दिन उन्हे बड़ा दुख हुआ जब सोनिया ने जांच की धीमी गति के साथ-साथ इस बात पर भी गुस्सा जताया कि राजीव गांधी के असली कातिलों को क्यों नहीं तलाशा जाता है?"
जैन आयोग और कार्तिकेयन ही नहीं राजीव गांधी की हत्या की जांच में शामिल के. रागोथमन ने अपनी किताब Conspiracy to kill Rajiv Gandhi - From CBI files में एक बड़ा खुलासा करते हुए लिखा है कि -
"21 मई 1991 यानि जिस दिन राजीव गांधी की हत्या हुई उसी दिन डीएमके नेता करूणानिधि की रैली भी श्रीपेमरमबदूर में ही होने वाली थी... पुलिस को सूचना दी गई थी कि करुणानिधि श्रीपेरमबदूर शहर के टॉवर क्लॉक में रैली करने वाले हैं और राजीव गांधी भी उसी दिन रैली करेंगे... दोनों के कार्यकर्ताओं के बीच आपस में विवाद ना हों इसलिए पूरे बंदोबस्त किए जाएं... 21 मई 1991 को राजीव तो रैली के लिए श्रीपेरमबदूर पहुंच गए लेकिन ऐन वक्त पर करूणानिधि ने अपनी रैली रद्द कर दी।"
अब आगे क्या हुआ... ये ध्यान से पढ़िये...
1997 में इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री थे और उनकी सरकार में डीएमके शामिल थी... ये सरकार कांग्रेस के समर्थन पर टिकी हुई थी.. इसी साल जब जैन आयोग की रिपोर्ट आई तो सोनिया गांधी के दवाब में कांग्रेस ने मांग रखी कि गुजराल सरकार में शामिल डीएमके के मंत्रियों को बर्खास्त किया जाये... गुजराल ने बात नहीं मानी, लिहाज़ा कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और देश पर नये चुनाव थोप दिये।
लेकिन, वक़्त की ज़रूरत बदली... और सोनिया गांधी ने राजीव गांधी के हत्यारों के वैचारिक साथी डीएमके से 2004 में हाथ मिला लिया... यूपीए में डीएमके के 7 मंत्री बनाये गये और पूरे 9 साल तक मनमोहन सरकार में डीएमके रही... लेकिन करुणानिधि की बेटी काणिमोड़ी की गिरफ्तारी के बाद संबंध बिगड़ गये डीएमके सरकार से बाहर आ गई।
2018 में जब करुणानिधि की मृत्यु हुई तो सोनिया गांधी ने उन्हें अपना पितातुल्य बताते हुए कहा कि - 'Kalaignar was Like a Father Figure to Me'
2019 में कांग्रेस ने एक बार फिर डीएमके से हाथ मिला लिया और ये दोस्ती आजतक बदस्तूर जारी है।
इसी बीच राजीव गांधी के हत्यारों को जेल से रिहा कर दिया गया तो डीएमके ने इसका स्वागत किया... और कांग्रेस चुप रही... कांग्रेस सोनिया जी के मंगलसूत्र, राहुल और प्रियंका के पापा राजीव गांधी को भूल गई... जो राजीव के नहीं हुए, वो क्या किसी के होंगे!!! "मेरी माँ का मंगलसूत्र..." एक जुमले से ज़्यादा कुछ नहीं है!!!
सबसे मुख्य बात... ये वही कांग्रेस है जो पिछले 75 सालों से महात्मा गांधी की चिता पर राजनीति की रोटियां सेंकते हुए हिंदूवादी विचारधारा को बदनाम करती है... लेकिन खुद राजीव गांधी के हत्यारों की विचारधारा का समर्थन करने वालों के साथ सत्ता की मलाई चाटती है।
अवधेश प्रताप सिंह कानपुर उत्तर प्रदेश,945122153